24 December 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " असुरों  का  मायावी  होना  प्रसिद्ध   है  l  माया , छल , प्रपंच , चालाकी , कूटनीति , षड्यंत्र  रचना  की  उनकी  नीति   प्रमुख  है  l   उसी  के  आधार  पर  वे  अपने  से  असंख्य  गुने   बलवान  देवताओं  को  परास्त  कर   देते  हैं  l  "     युग  चाहे  कोई  भी  हो  ,  असुर  अपने  इन्ही    दुष्प्रवृतियों  से  समाज  में  अशांति , तनाव   उत्पन्न  करते  हैं ,  ऐसे  कार्यों  को  करते  हैं  जिससे  लोग  अस्वस्थ  हों ,  शारीरिक  और  मानसिक  दृष्टि  से  कमजोर  होकर  उनसे  पराजित  हो  जाएँ  l     भ्रष्टाचार , मिलावट  , कृषि    में  रासायनिक  तत्वों  को   मिलाकर  प्रदूषित  करना  , लोगों  का  माइंड  वाश   कर  देना  ,   दंगे - फसाद  कराना ,  परिवार  में   फूट   डलवाना , झगड़े   कराना   यह  सब  असुरता   के  ही  लक्षण  है  l  यह  सब  आदिकाल  से  हो  रहा  है  l   ताण्डव   ब्राह्मण  की  कथा  है --- एक  बार  असुर  अन्न  में  घुस  गए   ताकि  उन्हें  देवता  खा  लें और  वे  उनके  शरीर  व  मन  में  प्रवेश  कर   अपना  आधिपत्य  जमा  लें  l   देवराज  इंद्र  ने  उनकी   इस  चाल  को  पकड़ा  और  असुरों  को  मार  भगाया  l  राजा  परीक्षित  के  मुकुट  में  चढ़कर  ( माइंड वाश )  उनसे  लोमश  ऋषि  के  गले  में  सांप  डलवाना ,  केकयी  और  मंथरा   की  बुद्धि  भ्रष्ट  करना  l   जागरूक  होकर ,  संगठित  होकर , विवेक  बुद्धि   से  ही  असुरता  को  पराजित  किया  जा  सकता  है  l