28 July 2023

WISDOM ------

   सम्राट  अशोक  अपने  सेनापति  के  साथ   राज्य  में  भ्रमण  के  लिए  गए  l  देखा  एक  पेड़  के  नीचे  एक  भिक्षुक  बैठा  है  l  राजा  उससे  बात  करते  रहे  फिर  अपना  सर  उसके  चरणों  में  झुकता  , दंडवत  प्रणाम  किया  l  सेनापति  ने  यह  सब  देखा  उसे  अच्छा  नहीं  लगा  l  महल  आकर  सम्राट  से  कहा  --- आपकी  अनुमति  हो  तो  एक  बात  पूछूं  l '  सम्राट  ने  कहा  --पूछो  l  सेनापति  बोला ---- आप  इतने  बड़े  सम्राट  हो  ,  सब  आपके  सामने  सिर  झुकाते  हैं  ,  फिर  आपने  उस  भिक्षुक  के  चरणों  में  अपना  सिर  क्यों  रखा  ? '  सम्राट  ने  उस  समय  कुछ  उत्तर  नहीं  दिया  l  दूसरे  दिन  सेनापति  को  एक  थैला  दिया   और  कहा  कि  इसमें  जो  सामान  है   उसे  आज  बेच  आओ  l  सेनापति  ने  देखा  उसमें  चार  सिर  थे  --घोड़े  का , भैंसे  का  ,  बकरी  का  और  आदमी  का   l  तीन  सिर  तो  बिक  गए  ,  आदमी  का  सिर  किसी  ने  नहीं  खरीदा  l  सेनापति  बड़ा   परेशान   कि  सम्राट  आखिर  क्या  बताना  चाहते  हैं  l  राजा  ने  उससे  कहा  --तुम  फिर  से  बाजार  जाओ   बिना  किसी  कीमत  के  फ्री  में  ही  यह  आदमी  का   सिर    किसी  को  दे  दो  l  सेनापति  पुन:  बाजार  गया  लेकिन  किसी  ने  भी  उस  सिर  को  नहीं  लिया  और  सेनापति  को  बुरा -भला  कहा  कि  कोई  हम  पर  हत्या  का  इल्जाम  लगा  देगा  , इसे  तुम  ही  रखो  l  सेनापति  वापस  लौट  आया   l  सम्राट  ने  उसे  समझाया --- यह   सिर  किसी  के  काम  का  नहीं  है  , इसकी  कोई  कीमत  नहीं  है  l  यह  हमारा  अहंकार  है  जो  सिर  पर  चढ़कर  बोलता  है  l  अहंकारी  व्यक्ति  न  तो  स्वयं  चैन  से  जीता  है  और  न  ही  दूसरों  को   चैन   से  जीने  देता  है  l  इस  अहंकार  को  समय  रहते  मिटा  देने  में  ही  कल्याण  है   क्योंकि  यदि  इस  अहंकार  को  पोषण  नहीं  मिला  तो  यह  घाव  की  भांति  रिसने  लगता  है  l