24 April 2022

WISDOM------

   लघु -कथा -----   मधुमक्खी  कोमल  पुष्प  की  छाती  पर  बैठी  उसका  जीवनरस  चूस  रही  थी  l   फूल   कराहते  हुए  बोला --- " इस  तरह  मुझे  मत  चूसो  l   मैं  भी  जीना  चाहता  हूँ   l '  मधुमक्खी   पर  कोई  असर  नहीं  पड़ा  l  वह  अपना  आनंद  लेती  रही  l  फूल  कराहता  रहा  l   एक  दिन  मधु  की  गंध  पाकर   भालू  पेड़  पर  चढ़  गया  और  उसने  शहद  पीकर  छत्ते  के  टुकड़े - टुकड़े  कर  दिए  l   मधुमक्खी  भिनभिनाकर  अपना  गुस्सा  निकालती   रही  ,  पर  भालू  को  उससे  क्या  मतलब  था  l    मुरझा  रहे  फुल  ने  मधुमक्खी  की  स्थिति  देखकर  कहा  ----- ' काश  !  यदि  हम  सब    एक  दूसरे   के     कष्ट  को  समझ  सके  होते   ,  तो  इस  दुनिया  में   चारों  ओर  सुन्दरता  होती  l  '  मधुमक्खी  भी  प्रायश्चित  भाव  से  यही  कह  रही  थी   l   

2 .   बूढा  आदमी  पेड़  के  समीप  आकर  रुका  और  बोला  --- ' अरे  !  फल  नहीं  सो  नहीं   l  और   फूल    भी  नहीं  ,  पत्ते  भी  नहीं   ! क्या  हो  गया  ?  बसंत  में  तुम्हारी  बहार  देखते  ही  बनती  थी   l   पेड़  ने  लम्बी  आह  भरी  --- काश  !  तुमने  अपना  झुर्री  भरा  चेहरा  देख  लिया  होता   l  बसंत  ऋतू  तो  सदा  आती - जाती  रहेगी   पर  बूढी  पीढ़ी   और  प्रथा -परंपरा  को  अपना  दायित्व  पूरा  करते  हुए   नयों  के  लिए   भी  तो  स्थान  खाली  करना  चाहिए  , अन्यथा  यह  स्रष्टि  ही  बूढी  होकर  समाप्त  हो  जाएगी   l  "  बात   बूढ़े  को  समझ  में  आ  गई   l