सेवा - धर्म की सच्ची अनुरागिणी होने के कारण फ्लोरेंस नाइटिंगेल ( जन्म 1820) मानव जाति को एक परम पिता की संतान समझती थीं और अवसर मिलने पर केवल इंग्लैंड ही नहीं , अन्य किसी भी देश में स्वास्थ्य - संवर्धन की योजनाओं मे सहयोग देने को तैयार रहती थीं l
उन्होंने सोचा कि शिक्षा -प्रचार के विचार प्रधान युग में यह कोई आवश्यक नहीं कि हम मौके पर जा कर ही लोगों की सेवा करें , दूर रह कर भी उनकी अवस्था का पता लगा सकते हैं और लिखा - पढ़ी के द्वारा उनका हित कर सकते हैं l इसलिए उन्होंने भारत सरकार द्वारा प्रकाशित विभिन्न विषयों की रिपोर्टों का अध्ययन करना शुरू किया और भारतवर्ष से सम्बन्ध रखने वाले देशी - विदेशी मुख्य व्यक्तियों से मिलकर बातचीत और पत्र व्यवहार करने लगीं l
भारत की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर उनकी सम्मति बड़ी तथ्यपूर्ण मानी जाने लगी l उनके प्रयास से भारतवर्ष की स्वास्थ्य सम्बन्धी अवस्था की जाँच करने के लिए एक ' सैनेटरी रायल कमीशन ' नियुक्त किया गया , जिसने तीन - चार वर्ष तक पूरी छानबीन कर के इस सम्बन्ध में 2028 पृष्ठों की एक रिपोर्ट तैयार की l उस समय लार्ड लारेंस भारत के वायसराय होकर आ रहे थे , यह जानकर नाइटिंगेल उनसे मिली और भारतीय स्वास्थ्य सुधार के सम्बन्ध में काफी विचार - विमर्श किया l उनकी बातों से वायसराय इतने प्रभावित हुए कि भारत आकर कुछ ही महीनों में ' सैनेटरी कमीशन ' की सिफारिशों के अनुसार काम करना आरम्भ कर दिया l
उनके इन कार्यों को देखकर उनके एक मित्र उन्हें ' भारत के गवर्नर जनरलों ' पर शासन करने वाली ' गवर्नरनी ' कहा करते थे l उनके समय में जितने भी वायसराय यहाँ आये , वे प्राय: सभी इंग्लैण्ड से चलने से पूर्व नाइटिंगेल से भेंट कर के भारत में स्वास्थ्य सुधार के मामलों में उनकी सलाह अवश्य ले लिया करते थे l
1877 में जब भारतवर्ष में घोर अकाल पड़ा तो उनका ध्यान यहाँ के ' जल कष्ट ' की तरफ आकर्षित हुआ l उस समय उन्होंने अपने एक परिचित सज्जन को लिखा ---- " मैं 18 वर्षों से भारतीय स्वास्थ्य सुधार सम्बन्धी कार्य और प्रचार कर रही हूँ , परन्तु गत चार वर्षों से मेरे मन में एक नवीन भावना उत्पन्न हुई है - वह यह कि जब लोगों के जीवन ही भयानक संकट में हैं , तब उनके लिए स्वास्थ्य विषयक प्रयत्नों से क्या लाभ ? बेचारे भारतीय कृषक अतिवृष्टि , अनावृष्टि , जमीदार और ऋण देने वालों के कारण बुरी तरह मर रहे हैं , यदि इन लोगों के लिए जल आदि का कोई प्रबंध कर दिया जाये तो उनकी रोटी की चिन्ता मिट जाएगी l " उन्होंने भारतीय किसानों की आर्थिक दशा , उनकी खेती , शिक्षा , लेन-देन सम्बन्धी बातों का ज्ञान प्राप्त कर के उनके सुधार के सम्बन्ध में अधिकारियों से पत्र व्यवहार करने लगीं l
उन्होंने भारतवर्ष में स्वास्थ्य , शिक्षा और कृषि सम्बन्धी सुधारों के लिए बहुत अधिक प्रचार व कार्य किया l
उन्होंने सोचा कि शिक्षा -प्रचार के विचार प्रधान युग में यह कोई आवश्यक नहीं कि हम मौके पर जा कर ही लोगों की सेवा करें , दूर रह कर भी उनकी अवस्था का पता लगा सकते हैं और लिखा - पढ़ी के द्वारा उनका हित कर सकते हैं l इसलिए उन्होंने भारत सरकार द्वारा प्रकाशित विभिन्न विषयों की रिपोर्टों का अध्ययन करना शुरू किया और भारतवर्ष से सम्बन्ध रखने वाले देशी - विदेशी मुख्य व्यक्तियों से मिलकर बातचीत और पत्र व्यवहार करने लगीं l
भारत की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर उनकी सम्मति बड़ी तथ्यपूर्ण मानी जाने लगी l उनके प्रयास से भारतवर्ष की स्वास्थ्य सम्बन्धी अवस्था की जाँच करने के लिए एक ' सैनेटरी रायल कमीशन ' नियुक्त किया गया , जिसने तीन - चार वर्ष तक पूरी छानबीन कर के इस सम्बन्ध में 2028 पृष्ठों की एक रिपोर्ट तैयार की l उस समय लार्ड लारेंस भारत के वायसराय होकर आ रहे थे , यह जानकर नाइटिंगेल उनसे मिली और भारतीय स्वास्थ्य सुधार के सम्बन्ध में काफी विचार - विमर्श किया l उनकी बातों से वायसराय इतने प्रभावित हुए कि भारत आकर कुछ ही महीनों में ' सैनेटरी कमीशन ' की सिफारिशों के अनुसार काम करना आरम्भ कर दिया l
उनके इन कार्यों को देखकर उनके एक मित्र उन्हें ' भारत के गवर्नर जनरलों ' पर शासन करने वाली ' गवर्नरनी ' कहा करते थे l उनके समय में जितने भी वायसराय यहाँ आये , वे प्राय: सभी इंग्लैण्ड से चलने से पूर्व नाइटिंगेल से भेंट कर के भारत में स्वास्थ्य सुधार के मामलों में उनकी सलाह अवश्य ले लिया करते थे l
1877 में जब भारतवर्ष में घोर अकाल पड़ा तो उनका ध्यान यहाँ के ' जल कष्ट ' की तरफ आकर्षित हुआ l उस समय उन्होंने अपने एक परिचित सज्जन को लिखा ---- " मैं 18 वर्षों से भारतीय स्वास्थ्य सुधार सम्बन्धी कार्य और प्रचार कर रही हूँ , परन्तु गत चार वर्षों से मेरे मन में एक नवीन भावना उत्पन्न हुई है - वह यह कि जब लोगों के जीवन ही भयानक संकट में हैं , तब उनके लिए स्वास्थ्य विषयक प्रयत्नों से क्या लाभ ? बेचारे भारतीय कृषक अतिवृष्टि , अनावृष्टि , जमीदार और ऋण देने वालों के कारण बुरी तरह मर रहे हैं , यदि इन लोगों के लिए जल आदि का कोई प्रबंध कर दिया जाये तो उनकी रोटी की चिन्ता मिट जाएगी l " उन्होंने भारतीय किसानों की आर्थिक दशा , उनकी खेती , शिक्षा , लेन-देन सम्बन्धी बातों का ज्ञान प्राप्त कर के उनके सुधार के सम्बन्ध में अधिकारियों से पत्र व्यवहार करने लगीं l
उन्होंने भारतवर्ष में स्वास्थ्य , शिक्षा और कृषि सम्बन्धी सुधारों के लिए बहुत अधिक प्रचार व कार्य किया l