21 January 2022

WISDOM -----

   वर्तमान  समय  में    भौतिक  और  वैचारिक   प्रदूषण     इतना  बढ़  गया  है  कि   संयमित  जीवन  जीने  और  एक  अच्छी  जीवनशैली  के  बाद  भी    लोग  स्वस्थ  नहीं  रह  पाते  ,  कोई  न  कोई  बीमारी  उन्हें  अपनी  चपेट  में  ले  ही  लेती  है  l   इसका  कारण  है  कि  कीटनाशक  ,  हानिकारक  तत्वों  के  कारण  वायु ,  जल ,  अन्न  सब  प्रदूषित  है   जो   व्यक्ति  की  जीवनीशक्ति  को  कमजोर  कर   रहे   है  l   प्रकृति  से  दूर  और  दवाइयों  पर  अत्यधिक  निर्भर  रहकर   व्यक्ति  अपने  जीवन  को  जीता  नहीं  ,  ढोता   है  l   यदि  समाज  जागरूक  हो  जाये   तो  इस  बाहरी  प्रदूषण    को  तो  दूर  किया  जा  सकता  है    लेकिन  जो   प्रदूषण    व्यक्ति  के  भीतर  है  , काम , क्रोध ,  लोभ , ईर्ष्या , द्वेष  ,  अति महत्वाकांक्षा  ,  असत्य बोलना , बेईमानी , धोखा  देना , षड्यंत्र  करना    ये  सब  दुर्गुण  व्यक्ति  को  तनाव  और  बड़ी  बीमारियों  से  ग्रस्त  कर  देते  हैं  l   इस  मानसिक    प्रदूषण    को  दूर  करना   आसान  नहीं  है  l   श्रीमद्भगवद्गीता   में     इन  दोषों  से  मुक्ति  पाने  का  सरल  रास्ता  बताया  गया  है   कि   निष्काम  कर्म  करने  से   मन  निर्मल  हो  जाता  है  ,  इसके  लिए  धैर्य  और  विश्वास  की  जरुरत  है   l