यह संसार कर्म -फल विधान से चल रहा है l जिसने अच्छे -बुरे जैसे भी कर्म किए हैं , उनका फल उसे अवश्य मिलता है l व्यक्ति संसार के किसी भी कोने में चला जाये , अपने कर्मों के परिणाम से वह बच नहीं सकता l एक बात यह भी देखने में आती है कि जो लोग सन्मार्ग पर चलते हैं , सच्चाई की राह पर हैं उनके जीवन में अनेक कष्ट , परेशानियाँ अवश्य आती हैं , इन कष्टों के माध्यम से ईश्वर उन्हें और निखारना चाहते हैं ताकि वे मजबूत बनकर अपने सत्य के प्रकाश से संसार के अंधकार को दूर करें l ईश्वर को यह संसार रूपी बगिया बहुत प्रिय हैं , वे चाहते हैं कि दुष्ट लोग अपनी बुरी प्रवृत्तियों को छोड़कर देवत्व की राह पर चलें l असुरता का देवत्व में रूपांतरण हो l यही कारण है कि आसुरी प्रवृत्ति के लोगों के अनेक गलतियों को ईश्वर बार -बार अनदेखा कर देते हैं l ऐसा कर के वे उन्हें सुधरने का मौका देते हैं l उनकी हर गलती पर उन्हें चेतावनी ईश्वर की ओर से अवश्य मिलती है कि ' अब भी सुधर जाओ l ' जो इस चेतावनी को समझ जाते हैं वे बुराई का मार्ग छोड़कर अच्छाई की राह पर चलने लगते हैं , अपनी गलतियों को सुधारने के लिए साधना करते हैं लेकिन जो ईश्वर की चेतावनी को नहीं समझते , एक के बाद एक अपराध करते ही रहते हैं फिर उनके लिए ईश्वर का सुदर्शन चक्र , उनकी गदा तैयार है या फिर शिवजी का तृतीय नेत्र खुल जाता है l इस सत्य को समझाने वाला महाभारत का प्रसंग है ----- राजसूय यज्ञ के समय भगवान श्री कृष्ण को सबसे सम्मान मिलते देख शिशुपाल बहुत ईर्ष्या से भर गया और भरी सभा में भगवान को गालियाँ देने लगा l भगवान श्रीकृष्ण मुस्करा कर सब सुनते रहे और बीच -बीच में उसे समझाते भी रहे कि शिशुपाल तुम संभल जाओ , मैं तुम्हारे केवल सौ अपराधों को क्षमा करूँगा l लेकिन शिशुपाल कहाँ समझने वाला था ' विनाशकाले विपरीत बुद्धि ' l जैसे ही उसकी सौ गालियाँ हुईं भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में सुदर्शन चक्र आ गया , फिर तो वह तीनो लोकों में भागता फिरा l किसी ने उसे शरण नहीं थी , उसका पाप का घड़ा भर चुका था , उसकी मृत्यु से ही उसके पाप का अंत हुआ l यदि शिशुपाल 80 -90 गालियाँ देकर रुक जाता तो उसके प्राण बच जाते , भगवान सबको सुधरने का मौका देते हैं , उनका कहना है अपनी गलतियों को सुधारने का और उन्हें बार -बार न दोहराने का संकल्प लो l जो पाप व्यक्ति कर चुका है , उनका प्रायश्चित तो करना ही पड़ेगा , उन पापों का परिणाम तो भोगना ही पड़ेगा लेकिन जब व्यक्ति सन्मार्ग पर चलने का संकल्प लेता है , अच्छाई के मार्ग पर आगे बढ़ता है तब सम्पूर्ण प्रकृति उसकी मदद करती है , उसे पाप के गड्ढे में गिरने से बचाती है l