सभी प्राणियों में ईश्वर ने मनुष्य को सबसे ज्यादा बुद्धिमान बनाया l अपनी बुद्धि के बल पर मनुष्य ने धन -दौलत , शक्ति -संपदा सब एकत्र कर ली और स्वयं को भगवान समझ बैठा जैसे सबके भाग्य का फैसला करना उसी के हाथ में है l यह अहंकार ही मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है l प्रकृति समय =समय पर अपना तांडव दिखाती है , मनुष्य के सचेत करती है लेकिन मनुष्य सुधरता ही नहीं है l इसका कारण यही है कि मनुष्य के पास बुद्धि तो है लेकिन विवेक नहीं है l विवेक न होने से ही वह अपनी बुद्धि का दुरूपयोग करता है l विवेक कही बाजार में , संस्था में नहीं मिलता , यह तो ईश्वरीय कृपा से ही मिलता है l जब कोई मनुष्य सन्मार्ग पर चलता , सत्कर्म करता है और ऐसा करने के साथ गायत्री मन्त्र का जप करता है तब ईश्वर की कृपा से उसे विवेक का वरदान मिलता है l आज सारे संसार को गायत्री मन्त्र को जपने की जरुरत है l विवेक न होने के कारण ही मनुष्य वे सब कार्य करता है जो स्वयं उसके लिए और मानवता के लिए घातक है l