30 August 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " अहंकारी  व्यक्ति  दुर्गुणों  की  दुर्गन्ध  तो  अपने  व्यक्तित्व  में  सम्मिलित  करता  ही  है  , साथ  ही  जीवन  विकास  से  भी  हाथ  धो  बैठता  है  l  इसलिए  जीवन  में   यदि  आगे  बढ़ना  है  , विकास  करना  है  , व्यक्तित्व  को  सँवारना   है  तो  सबसे  पहले   विनम्रता  और  शालीनता   को  अपनाना  होगा  l  विनम्रता  से  ही  व्यक्ति  का  विवेक  बढ़ता  है  , समझदारी  बढती  है   और  वह  औचित्य  पूर्ण  कार्य  कर  पाता  है  l  विनम्रता  का  तात्पर्य  केवल  बाहरी  रूप  से  सरल , सहनशील  और  शालीन  बनना  नहीं   है  , बल्कि  आंतरिक  द्रष्टि  से  भी  संवेदनशील  होना  है  l  "   ------- कल्याण  मासिक  पत्रिका  के  संपादक   श्री  हनुमान  प्रसाद  पोद्दार जी   भीषण  ठण्ड  के   दिनों  में  आधी  रात  के  समय  गीता -वाटिका , गोरखपुर  से  निकलते   और  ठण्ड  से  सिकुड़  रहे  गरीबों  को  कंबल  चादर  ओढ़ा  दिया  करते  थे   l  एक  बार  एक  पत्रकार  ने   गरीबों  को  कंबल   ओढ़ाते   हुए  उनका   फोटो  ले  लिया  ,  तो  पोद्दार जी  ने  बड़ी  विनम्रता  से  कहा  ---- " यह  फोटो  अख़बार  में  मत  छापना  , न  ही  इस  बारे  में   किसी  दूसरे  को  बताना  , नहीं  तो  मैं  पुण्य  की  जगह  पाप  का  भागी  बनूँगा  l  प्रचार  के  उदेश्य  से  की  गई  सेवा   पुण्य  नहीं , पाप  का  मार्ग  बताई  गई  है  l