4 May 2024

WISDOM -----

  यह  संसार  विविधताओं  का  है , विभिन्न  मनोवृत्तियों  के  लोग  इस  धरती  पर  निवास  करते  हैं  l  अनेक  लोग  इस  धरती  पर  युद्ध , दंगे , आतंक ,  भेदभाव , अत्याचार , शोषण , उत्पीड़न,  छल , कपट , धोखा  -  ----जैसे   सम्पूर्ण  प्रकृति  और  मानवता  को  कष्ट   देने  वाले  कार्य  करते  हैं ,  नकारात्मकता  फैलाते  है   और  उन्हें  ऐसा  करके   अपने  अहंकार  को  पोषित  करने  की  झूठी  ख़ुशी  भी  मिलती  है  l  लेकिन  दूसरी  ओर  अनेक  ऐसे  लोग  भी  हैं  जो  सन्मार्ग  पर  चलते  हैं , उनके  ह्रदय  में  करुणा  है , संवेदना  है  , निष्काम  भाव  से  परोपकार  के  कार्य  करते  हैं  , श्रेष्ठ  मन्त्रों  के   जप  से  इस  धरती  और  प्रकृति  के  पोषण  का   और  सकारात्मकता  के  विस्तार  का  कार्य  करते  हैं    l  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " प्रकृति  कुपात्रों  का   दंड  एवं  विनाश  के  रूप  में  उपयोग  करती  है  और  सत्पात्रों  का  श्रेष्ठता , सृजन  एवं  विकास   हेतु  चयन  करती  है  l  अत:   भगवान  की  भक्ति  कर  के ,  सन्मार्ग  पर  चलकर    स्वयं  को   मनोविकारों  से  मुक्त  करना  चाहिए   और  भगवान  का  कृपा पात्र  बनना  चाहिए   l '    ताकि  हमारा  चयन  श्रेष्ठ  कार्यों  के  लिए  हो   l  संसार  में  जो  लोग  भी  श्रेष्ठ  और  सकारात्मक  कार्य  कर  रहे  हैं    ,  उनका    ईश्वर  ने  ही   चयन  किया  है  l  जैसी  व्यक्ति  की  मानसिक  प्रवृत्तियों  होती  हैं    उसी  के  अनुसार   कार्य  के  लिए  उसका  चयन  होता  है  l ------------------  त्रेतायुग  में   भगवान  राम  के  ही  परिवार  में  महारानी  कैकेयी   राम   पर    अपने  पुत्र   भरत    से  भी  ज्यादा   स्नेह , वात्सल्य   लुटाती  थीं  लेकिन  क्रोध , अहंकार  ,  अभिमान   और   मंथरा    जैसी  ईर्ष्यालु  दासी  का  कुसंग   के  कारण     वे  राजा  दशरथ  से  राम  के  लिए  वनवास   और  अपने  पुत्र  भरत  के  लिए  राजसिंहासन  मांगने  लगीं  l   भगवान  राम  के  अवतार  का  विशेष    उद्देश्य  था   लेकिन  अपने  क्रोध  और  अहंकार  जैसे  मनोविकार  के  कारण  महारानी  कैकेयी  राम , लक्ष्मण  और   सीताजी  के   चौदह  वर्ष  के  वनवास  के  लिए  उत्तरदायी  बनीं  l    इसी  तरह  द्वापर  युग  में  भीष्म  पितामह  ने  कौरव , पांडव   सभी  राजकुमारों  के  लिए   एक  जैसी  शिक्षा -दीक्षा  और  सुविधाएँ  उपलब्ध  कराएँ   l   पांडवों  ने  शालीनता , सहयोग  , सत्य  और  धर्म  का  मार्ग  चुना   जबकि  कौरवों  ने  ईर्ष्या , द्वेष , छल , कपट  षड्यंत्र  और  उद्दंडता  का  मार्ग  चुना  l  दुर्योधन  आदि  कौरव   वंश  के  अंत  के  लिए  उत्तरदायी  बने   जबकि  पांडव  संसार  में  धर्म  और   नीति   की  स्थापना  और  अत्याचार  व  अन्याय  के  अंत  के  लिए  जाने  जाते  हैं   l