3 June 2024

WISDOM -----

 सिकंदर  एक  ऐसा  व्यक्ति  था  ,  जिसके  पास  किसी  चीज  की  कमी  नहीं  थी  ,  लेकिन  वह  हीनता  की  ग्रंथि  का  शिकार  था   और  इसी  मनोग्रंथि  के  कारण   पूरे  विश्व  को  जीतने  की   महत्वाकांक्षा   मन  में  संजोये  था  l  अपनी  इस  विश्व विजय  यात्रा  पर  निकलने  से  पहले  वह   डायोजिनीस  नामक  फ़क़ीर  से  मिलने  गया  ,  जो  हमेशा  परमानन्द  की  अवस्था  में  रहते  थे  l  सिकंदर  को  देखते  ही  डायोजिनीस  ने  पूछा ---- " तुम  कहाँ  जा  रहे  हो  ? "  सिकंदर  ने  कहा --- "मुझे  पूरा  एशिया  महाद्वीप   जीतना  है  l "  डायो जिनीस  ने  पूछा ---उसके  बाद  क्या  करोगे  ? "   सिकंदर ---- " उसके  बाद  भारत   जीतना  है   l "   डायोजिनीस  ने  पूछा  --- " उसके  बाद  ? "    जवाब  मिला ---"  शेष  दुनिया  को  जीतूँगा  l "   प्रश्न ---- "  उसके  बाद  ? " सिकंदर  ने  खिसियाते  हुए  उत्तर  दिया  "  उसके  बाद  मैं  आराम  करूँगा  l "  डायोजिनीस  हँसने  लगे   और  बोले  ---- " जो  तुम  इतने  दिनों  बाद  करोगे  ,  वह  तो  मैं  अभी  भी  कर  रहा  हूँ  l  यदि  तुम  आख़िरकार  आराम  ही  करना  चाहते  हो  ,  तो  इतना  कष्ट  उठाने  की  क्या  आवश्यकता  क्या  है  ? मैं  इस  समय  नदी  के  तट  पर  आराम  कर  रहा  हूँ  l  तुम  भी  यहाँ  आराम  कर  सकते  हो  l "    यह  सुनकर  सिकंदर  सोचने  पर  विवश  हुआ  कि   उसके  पास  सब  कुछ  है  ,  पर  शांति  नहीं  है   और  डायोजिनीस  के  पास  कुछ  भी  नहीं  है   पर  उसका  मन  शांति  और  आनंद  से  भरा  हुआ  है  l  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  जिनका  मन  मनोग्रंथियों  से  मुक्त  होता  है  ,  वे  कहीं  भागते  नहीं  ,  किसी  को  जीतते  नहीं  ,  वह   स्थिर  होते  हैं  ,  स्वयं  को  जीतते  हैं   और  धीरे -धीरे  उनका  मन   शांति  और  आनंद  से  भर  जाता  है  l  लेकिन   जिनका   मन   मनोग्रंथियों    से  घिरा  होता  है  ,  वे  बेचैन , अशांत   और  परेशान  रहते  हैं  l  ऐसे  व्यक्ति  चाहे   पूरे  विश्व  का  भ्रमण  कर  लें,,  लेकिन  फिर  भी  वे   अपने  मन  के  अंधरों अंधेरों  को  दूर  नहीं  कर  पाते   हैं   l