7 July 2024

WISDOM ------

   एक  राज्य  में  एक  राजा  अपनी  न्याय प्रियता  के  लिए  विख्यात  था  l  एक  बार  उसके  पास  एक  जटिल  मामला  आया  l  यह  मामला  एक  भिखारी  का  था  l  भिखारी  को  एक  बटुआ  मार्ग  पर  पड़ा  मिला  , जिसमें  सौ  मोहरें  थीं  l  वह  उन्हें  सरकारी   विभाग  में  जमा  कराने  चल  दिया  , परन्तु  रास्ते  में  उसे  एक  सौदागर  मिला  ,  जो  उससे  बोला  ---- "  यह  बटुआ  उसका  है   और  वह  उसकी  ईमानदारी  के  लिए  उसे  आधी  मोहरें  देगा  l "  भिखारी  ने  बटुआ  सौदागर  को  सौंप  दिया  ,  पर  पैसे  मिलते  ही  सौदागर  के  मन  में  बदनीयती  आ  गई  l  उसी  भाव  से  वह  भिखारी  से  बोला  ---- "  अरे , इसमें  तो  दो सौ  मोहरें  थीं  , तुमने  आधी  रख  लीं   हैं  l "   भिखारी  ईमानदार  था  ,  वह  झूठा  इल्जाम  सहन  न  कर  सका   और  न्याय  मांगने  राजदरबार  पहुंचा  l   राजा  बात  सुनते  ही  समझ  गया   कि  सौदागर  बेईमान  है  l  राजा  ने  कहा --- "  सौदागर  !  भिखारी  यह  बटुआ  सरकारी  कोष  में  जमा  कर  रहा  था  ,  इससे  यह  तय  है  कि   वह  पैसे  नहीं  रखना  चाहता  था  l  तुम  कहते  हो  कि  बटुए  में  दो  सौ  मोहरें  थीं   लेकिन  इसमें  सौ  निकली  l  इसका  अर्थ  हुआ  कि  बटुआ  तुम्हारा  नहीं  है  , भिखारी  को  किसी  और  का  बटुआ  मिला  है  l  भिखारी  को  मिले  बटुए  का  आधा  हिस्सा  राजकोष  में  जमा  कर  लिया  जाए   और  आधा  उसे  पुरस्कार स्वरुप  दे  दिया  जाए  l  जहाँ  तक  तुम्हारे  बटुए  का  प्रश्न  है   तो  वह  जब  मिलेगा  , तुम्हे  वापस  कर  दिया  जायेगा  l  "  लालची  सौदागर  हाथ   मलता  रह  गया   क्योंकि  बटुआ  उसी  का  था  ,  पर  ज्यादा  पाने  के  लालच  में   वह  अपनी  ही  दौलत  गँवा  बैठा  था   l