' जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय , बाल न बांका करि सके जो जग बैरी होय l ' यह भी एक आश्चर्य है कि जो इस संसार में निश्चित है , मनुष्य उसी से डरता है l ' जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है , फिर भी सब मृत्यु से ही डरते हैं l यह डर भी दूर हो सकता है यदि मनुष्य सत्कर्म करे , ईश्वर की सत्ता में विश्वास करे l प्रत्येक प्राणी को ईश्वर ने गिनती की साँसे दी हैं जिन्हें कोई भी छीन नहीं सकता l मृत्यु के देवता कभी भी जाति , धर्म , ऊँच -नीच , छोटे -बड़े , अमीर -गरीब का कोई भेदभाव नहीं करते l सब एक ही तरीके से खाली हाथ जाते हैं l इस व्यवस्था से ईश्वर संसार को यह समझाना चाहते हैं कि ऐसे बिना वजह के भेदभावों में , लड़ाई -झगड़ों में अपने अनमोल मानव जीवन को व्यर्थ में न गंवाओं l ऐसे लड़ाई -झगडे , दंगों में मरने और मारने वालों की कभी मुक्ति नहीं होती , अकाल मृत्यु , बीमारी , महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़ जाती है l मुक्त न होने के कारण भूत -प्रेत , पिशाच जैसी नकारात्मक शक्तियों की संख्या बढ़ जाती है l ये नकारात्मक शक्तियां अपनी भूख मिटाने के लिए लोगों के मन पर हावी होकर ऐसे ही युद्ध , हत्या आदि अमानवीय कार्यों को जन्म देती हैं l इतिहास में इसके अनेक उदाहरण भी हैं l फिर आज के इस वैज्ञानिक युग में मनुष्य की बुद्धि का और बुद्धि के साथ स्वार्थ का इतना अधिक विस्तार हो गया है कि रावण , मारीच , घटोत्कच जैसे असुरों की ' माया ' अब वैज्ञानिक तरीकों से संसार को त्रस्त कर रही है l मनुष्यों में दूसरों को अपना गुलाम बनाने की प्रवृत्ति होती है , अब वे इन नकारात्मक शक्तियों को कंट्रोल कर अपना गुलाम बनाकर उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध कराते हैं l इन सबसे पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है l इसलिए हमारे ऋषियों ने , आचार्य ने कहा है कि गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र से प्रकृति को पोषण मिलता है , वातावरण शुद्ध होता है l कलियुग में मानवता की रक्षा के लिए इनका जप जरुरी है l