24 September 2024

WISDOM ------

   आज  संसार  की  सबसे  बड़ी  समस्या  यह  है  कि  मनुष्य  की  चेतना  सुप्त  हो  गई  है  l  प्रत्येक  व्यक्ति  केवल  धन  के  पीछे  दौड़  रहा  है  ,  कितना  धन  कमा  ले , उससे  कितना  ऐश  कर  ले , कितना  आगे  की  पीढ़ियों  के  लिए  छोड़   दे  l  यह  छोड़ना  भी  एक  मज़बूरी  है , व्यक्ति  का  वश  चले  तो  वह  भी  बांधकर  ले  जाए  l   इस  तृष्णा  ने  सारी  सीमाएं  तोड़  दी  हैं  l  जो  हथियार  बनता  है  , वह  चाहता  है  कितने  युद्ध  हों  ताकि  उसका  धन  का  भंडार  बढ़ता  जाए  l  दवाई , इंजेक्शन  बनाने  वाले  की  इच्छा  है   कि  कितने  ज्यादा  लोग  बीमार  हो , बीमारी , महामारी  हो  जिससे  वह  अपनी  अमीरी  की  छाप  छोड़  सके l  बिल्डिंग  आदि  निर्माण  से   जुड़ा   व्यक्ति  सोचता  है   , जल्दी  टूटने  वाली  हो  जिससे  आमदनी  का  स्रोत  बना  रहे  l  शिक्षक , कलाकार , व्यापारी  हर  व्यक्ति   अपनी  बुद्धि    से   अपने  क्षेत्र  में  अतिरिक्त   धन  कमाने  के     उचित -अनुचित  किसी  भी  तरीके  से   अमीर   बनने  के  रास्ते  खोज  लेता  है   l  केवल  जीवन  का  यही  उदेश्य  रह  गया  है  l  धन  जीवन  के  लिए  बहुत  जरुरी  है , , सभी  आवश्यकताएं  धन  से  ही  पूरी  होती  हैं   लेकिन  अपनी  अनंत  आवश्यकताओं  के  लिए  व्यक्ति  अनैतिक , अमानवीय  तरीके  इस्तेमाल  करता  है , वह  गलत  है   l  धन  के  बल  पर  व्यक्ति  कानून  से  भी  बच  जाता  है ,  गलत  रास्ते  पर  चलकर  भी  सम्मानित  जीवन  जीता  है  l  लेकिन  ईश्वर  का  न्याय  तो  होता  है  l   इस  युग  में  मनुष्य  की  चेतना  सुप्त  इसलिए  कही   जाती  है  क्योंकि  ऐसे  लोगों  के  जीवन  में  कोई  बड़ा  दुःख  आ  जाये ,  भयंकर  बीमारी  आ  जाये   तब  भी  वे  लोग   सुधरते  नहीं  l   उनके  अहंकार  के  कारण  यह  बात  उनके   चिन्तन  में  ही  नहीं  आती  कि  उनके  गलत  कार्यों  की  वजह  से  ही  प्रकृति  उन्हें  दंड  दे  रही  है  l   l  मरणासन्न  स्थिति  में  पहुंचकर   यदि  पुन:  थोड़े  भी  स्वस्थ  हो  जाएँ  तो  फिर  से  पाप  कर्म  में  जुट  जाते  हैं  l  कलियुग  की  यही  सबसे  बुरी  बात  है  कि  व्यक्ति  सुधरना  ही  नहीं  चाहता   l  संसार  में  ऐसे  लोगों  की  अधिकता  है  l  सन्मार्ग  पर  चलने  वाले  बहुत  कम  हैं  l  यह  युग  का  असर  है  कि   सन्मार्ग  पर  चलने  वालों  को  आसुरी  शक्तियां  अपने  दलदल  में  घसीटने  की   जी -तोड़  कोशिश  करती  हैं  l  असत्य  का  बोलबाला  है , सत्य  उपेक्षित  है  l