28 July 2024

WISDOM -----

   मनुष्य  जीवन  क्या  है   ?  यदि  सरल  शब्दों  में  कहें  तो  यह    'कर्मों  का  लेन -देन  '  है  l  इस  धरती  पर  प्रत्येक  व्यक्ति  अपने  कर्मों  का  हिसाब  चुकाने  आता  है  l  मनुष्य  के  जितने  भी  रिश्ते  हैं  चाहें  वह  परिवार  से  हों , जानवरों  से , पशु -पक्षियों  से  , भूमि  से  हो  ----इन  सबका  व्यक्ति  पर  ऋण  होता  है  जिसे  किसी  न  किसी  रूप  में  चुकाना  होता  है  l  मनुष्य  ने  अपनी  बुद्धि  का  इस्तेमाल  कर  के   रिश्तों  को  विभिन्न  नाम  दिए , विभिन्न  श्रेणियां  बना   दीं  लेकिन  वास्तविकता  यही  है  कि  जन्म -जन्मान्तर  का  कोई  ऋण  होता  है   जिसे  चुकाना  पड़ता  है  l   जो  इस  सत्य  से  परिचित  हैं   वे  जीवन  में  आने  वाली  कठिनाइयों , अपमान , दुःख , तकलीफ   में  अपने  मन  को  समझा  लेते  हैं  कि  किसी  जन्म  का  कोई  ऋण  था , कोई  जाने -अनजाने  पाप  हुआ  था  ,  वह  कट  गया  l   जो  समझदार  हैं   वे  अपना  जीवन  ही  इस  ढंग  से  जीते  हैं  कि  उन  पर  किसी  का  कोई  ऋण  बकाया  न  रहे  l   एक  कथा  है -------- एक  सेठ जी  थे   वे  दिल्ली  से  अपना  व्यापार , हवेली  आदि  छोड़कर  अग्रोहा  नामक  स्थान  पर  आकर  रहने  लगे   l  उन्होंने   यह  घोषणा  करा  दी  कि  जो  भी  अग्रोहा  में  आकर  बसेगा  उसे  सब  सुख -  सुविधा  दी  जाएगी  l   लखी  नामक  एक  बंजारा  अग्रोहा  पहुंचा   और  उसने   सेठ  से  व्यापार  करने  के  लिए  रूपये  उधार  मांगे  l   सेठ  ने  पूछा  ---- " किस  जन्म  में  यह  कर्ज  चुकाओगे  ? "  बंजारा  कुछ  समझा  नहीं   l  तब  सेठ  ने  कहा --- " भाई  !  इस  जन्म  में  चुकाने  का  वायदा  करते  हो  तो   हिसाब  करके  रोकडिया  से  रूपये  ले  लो   l  लेकिन  यदि  अगले  जन्म  में  चुकाना  हो  तो   ऊपर  वाले  खंड  में  चले  जाओ   और  जितना  चाहे  ले  लो   l  हम  उस  रूपये  की  कोई  लिखा -पढ़ी  नहीं  करते  l  लखी  ने  सोचा  सेठ  कैसा  मूर्ख  है , अगले  जन्म  को  किसने  देखा  l  इसलिए  उसने  सेठ  से   कहा  कि  वह  अगले  जन्म  में  चुकाएगा  और   हवेली  के   ऊपर  वाले  खंड  में  जाकर  एक  लाख  रूपये  ले  लिए  l  लखी  अपने  डेरे  पर  पहुंचकर  बहुत  खुश  था  l  उसी  समय  एक  संत  वहां  से  निकले   l  लखी  ने  उन्हें  प्रणाम  किया  और  अपने  यहाँ  विश्राम  करने  को  कहा  l  भोजन , विश्राम  के  बाद  लखी  ने  उन्हें  कर्ज  लेने  का  पूरा    वर्णन  सुनाया   और   पूछा  कि  क्या   अगले  जन्म  में  चुकाना  होगा , कौन  किसे  पहचानेगा  l  तब  महात्मा जी  ने  उसे  पुनर्जन्म  का  विधान  बताया   और  कहा  कि  कर्म  अविनाशी  होते  हैं , कभी  नष्ट  नहीं  होते  जन्म -जन्मान्तर  तक  अच्छी -बुरी  परिस्थितियों  के  रूप  में  इन्हें  भुगतना  पड़ता  है  l  उन्होंने  पुराण  का  प्रसंग  सुनकर  कहा  कि  तुम्हे  बैल  बनकर   यह  कर्ज  चुकाना  पड़ेगा  l  महात्मा  की  बात  सुनकर  लखी  बहुत  डर  गया  और  सारा  रुपया  लेकर  सेठ  के  पास  पहुंचा   और  बोला  ---- ये  रूपये  आप  वापस  ले  लो , अगले  जन्म  में  चुकाने  की  क्षमता  मुझ  में  नहीं  है  l  ' लेकिन  अब  सेठ  ने  रूपये  लेने  से  इनकार  कर  दिया  ,  लखी  ने  बहुत   विनती  की  लेकिन  सेठ  ने  रूपये  लेने  से  मना  के  दिया   क्योंकि  वे  तो  बिना  किसी  लिखा -पढ़ीं  के  दिए  गए  थे  l  अब  लखी  पुन:  महात्मा जी  के  पास  गया  , बहुत  परेशान  था  कि  क्या  करें  ?  महात्मा जी  ने  सलाह  दी  कि  अग्रोहा  में  कोई  सरोवर  नहीं  है  , तुम  इन  रुपयों  से  यहाँ  एक  सरोवर  बनवा  दो   l  सरोवर  बनकर  तैयार  हो  गया  , सब  नगरवासी  बहुत  प्रसन्न  थे  l  लखी ने  कहा   कि  यह  सरोवर  सेठ  का  है  l  जब  सेठ जी   तक  यह  बात  पहुंची  तो  वे  तुरंत  लखी  के  यहाँ  गए   और  कहा  कि  यह  सरोवर  तुम्हारा  है  , तुमने  इसे  जनता  के  कल्याण  के  लिए  बनवाया  है  l  तब  लखी  ने  कहा ---- आपसे  अगले  जन्म  में  चुकाने  का  कहकर  जो  एक  लाख  रूपये  उधार  लिए  थे  ,  उस  से  यह  सरोवर  बनवाया   , आप  ही  इसके  स्वामी  हैं  l   सेठजी  सारी  बात  समझ  गए  , सरोवर   निर्माण    में  जो  अतिरिक्त  खर्च  हुआ  था  , उसकी  उन्होंने  तुरंत  भरपाई  की  और  उस  सरोवर  का  नाम  ' लखी सरोवर ' रख  दिया   l  लखी  का  जीवन  लोगों  के  लिए  प्रेरणा  है   और  कर्मफल  विधान  स्रष्टि  का  अनिवार्य   सच  है   l