बालक सैंडो अत्यंत दुर्बल और रोगी था l अपनी बुरी आदतों के कारण उसने बचपन में ही अपना स्वास्थ्य ख़राब कर लिया था l एक दिन सैंडो अपने पिता के साथ अजायबघर देखने गया l रोम की गैलरी में उसने प्राचीन काल के बलिष्ठ पुरुषों की मूर्तियाँ देखीं l उसे विश्वास न हुआ कि ऐसे मांसल भुजाओं वाले स्वस्थ और बलवान लोग भी इस संसार में हो सकते हैं l सैंडो इन प्रतिमाओं को देखकर बड़ा प्रभावित हुआ l उसने पिता से पूछा ---- " क्या ये प्रतिमाएं काल्पनिक हैं ? क्या ऐसा स्वास्थ्य संभव हो सकता है ? " पिता ने कहा ---" संसार में संभव क्या नहीं है , यदि तुम भी नियमित व्यायाम करो , परिश्रम करो , संयमित बनो , आलस न करो , नियमित दिनचर्या हो तो तुम भी ऐसा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हो l " यह बात सैंडो के मन में बैठ गई l उसने संकल्प कर के अपनी पिछली जिन्दगी का चोला उतार फेंका और नियमपूर्वक व्यायाम और कठोर श्रम करना प्रारम्भ कर दिया l इसका परिणाम हुआ कि वह एक प्रख्यात पहलवान बन गया l उसने व्यायाम की अनेक विधियाँ भी निकली , जिन्हें सैंडो की कलाएं कहा जाता है l
27 May 2024
WISDOM -------
एक जल पूरित नदी कल -कल करती हुई आनंद और उल्लास के साथ बही जा रही थी l उसके किनारे बड़े -बड़े सुन्दर नगर , उपनगर बसे हुए थे l खेती और दैनिक जीवन में इसके जल का लोग उपयोग करते करते थे l नदी के जल से विद्युत उत्पादन होता था , इस बिजली से बड़े -बड़े उद्योग लाभान्वित होते थे l नदी के माध्यम से व्यापर भी होता था , असंख्य लोगों को रोजगार मिला था l नदी अपने गंतव्य की ओर बहती हुई जा रही थी , तब उसके निकट एक छोटी तलैया , जिसका पानी प्रवाह हीन होने के कारण दुर्गन्ध दे रहा था , उसने नदी से कहा ---- " बहिन बताओ , अपने इस दिन -रात के बहते हुए जीवन में आखिर तुम्हे किस बात का अनुभव होता है , जो तुम निरंतर कल -कल करती हुई किलोले क्रिया करती हो ? मुझे क्यों नहीं देखतीं , जो एक जगह ठहरकर अपने जीवन को प्रगति और प्रवाह से दूर कर के , स्थिर होकर यहाँ पड़ी -पड़ी आराम के साथ अपने दिन गुजार रही हूँ l " नदी ने तलैया से कहा ---- " प्रगति और प्रवाह का पथ अपनाने से ही मेरा जल स्वच्छ और निर्मल बना हुआ है और इसीलिए मेरी हर बूंद का सदुपयोग किया जाता है l प्रगति और प्रवाहहीन होने के कारण ही तुम गंदगी का आगार बनी हुई हो l औरों के उपयोग में न आने वाले तुम्हारे जीवन का इस दुनिया में अधिक अस्तित्व नहीं है l "