एक बार रानी रासमणि के गोविन्द जी की मूर्ति पुजारी के हाथ से गिरने से खंडित हो गई l रानी रासमणि ने ब्राह्मणों से उपाय पूछा l ब्राह्मणों ने खंडित मूर्ति को गंगा जी में विसर्जित कर नई मूर्ति बनवाने का सुझाव दिया l यह सुनकर रानी बहुत दुःखी हुईं कि अब तक जिन ठाकुर जी को इतनी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता रहा , उन्हें अब गंगा में विसर्जित करना पड़ेगा l उन्होंने रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा तो वे बोले ---- " यदि आपके किसी सम्बन्धी का पैर टूट जाता तो आप उसकी चिकित्सा करवातीं या नदी में प्रवाहित करतीं ? " रानी रासमणि उनका आशय समझ गईं l उन्होंने खंडित मूर्ति को ठीक करवाया और पहले की भांति पूजा आरम्भ कर दी l एक दिन किसी ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा ---- " मैंने सुना है कि इस मूर्ति का पैर टूटा है l " इस पर वे हँसकर बोले ---- " जो सबके टूटे को जोड़ने वाले हैं , वे स्वयं टूटे कैसे हो सकते हैं l '
24 May 2024
WISDOM -----
मनुष्य के लिए सबसे कठिन कार्य है ---अपने मन पर नियंत्रण करना l यह मन हमारे शरीर में कहाँ है , कैसा है , उसकी बनावट क्या है कोई नहीं जानता , लेकिन यह बड़ी तेजी से बेलगाम घोड़े की तरह भागता है और मनुष्यों में तनाव का सबसे बड़ा कारण यह मन ही है l यदि मन पर नियंत्रण हो जाये तो जीवन की अधिकांश समस्याएं स्वत: ही हल हो जाएँ l ------- जापान का एक युवा तीरंदाज स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा तीरंदाज समझता था l वह जहाँ भी जाता , लोगों को मुकाबले की चुनौती देता और उस मुकाबले में उन्हें हराकर उनका खूब मजाक उड़ाता l एक बार उसने झेन गुरु बोकोशु को चुनौती दी l गुरु ने चुनौती स्वीकार कर ली l युवक ने प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ होते ही लक्ष्य के बीचोबीच निशाना लगाया और पहले ही तीर में उस लक्ष्य को बेध दिया l वह झेन गुरु से दंभ पूर्वक बोला ------ " क्या आप इससे बेहतर कर सकते हैं ? " झेन गुरु मुस्कराए और उसे लेकर ऐसे स्थान पर गए , जहाँ दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए लकड़ी का कामचलाऊ पुल बना था l उस पर कदम रखते ही वह पुल चरमराने लगा l बोकोशु ने उसे पुल पर अपने पीछे आने को कहा l बोकोशु ने पुल के बीच में पहुंचकर सामने दूर खड़े एक पेड़ के तने पर निशाना लगाया l इसके बाद उन्होंने उस युवक से निशाना लगाने को कहा , परन्तु कई बार के प्रयास के बाद भी वह निशाना न लगा सका l उसे निराशा में डूबा देख झेन गुरु ने कहा --- " वत्स ! तुमने निशाना लगाना तो सीख लिया , पर मन पर नियंत्रण करना नहीं सीखा , जो किसी भी परिस्थिति में शांत रहकर निशाना साध सके l " युवक को बात समझ में आ गई l उसने अब अहंकार छोड़कर मन को साधने का प्रयास आरम्भ किया l उसे यह बात समझ में आ गई कि अहंकार सारी बुराइयों की जड़ है , अहंकार के आते ही अन्य बुराइयाँ अपने आप खिंची चली आती है l इसलिए यदि जीवन में स्थायी सफलता प्राप्त करनी है तो अहंकार को त्यागना होगा l