26 September 2024

WISDOM -------

    इस  धरती  पर  अनेक  सभ्यताओं  का  उदय  हुआ  और  अस्त  हुआ  l  ईश्वर  कभी  विनाश  नहीं  चाहते  ,  उन्हें  इस  स्रष्टि  में  धरती  बहुत  प्रिय  है  , वे  इसे  बहुत  सुंदर , खुशहाल  देखना  चाहते  हैं   लेकिन  कभी   ऐसी  परिस्थिति  निर्मित  हो  जाती  हैं  कि  ईश्वर  भी   निर्लिप्त  भाव  से  इस  विनाश  को  देखते  हैं  l  एक  अति  प्राचीन  सभ्यता   जो  बहुत  विकसित  थी  , युगों  तक  कायम  रही  लेकिन  अचानक  कुछ  हुआ  कि   उस  सभ्यता  का  नामोनिशान  मिट  गया  l  यह  सब  अचानक  नहीं  हुआ  , उसकी  किवदंती  है  ------   उस  प्राचीन  सभ्यता  में  सब  लोग  बहुत  खुश  थे  , स्वस्थ  थे  l  प्रेम  था , भाईचारा  था  l  शिक्षा , कला , साहित्य ----- जीवन   का  प्रत्येक  क्षेत्र   बहुत  विकसित  , सुंदर , सुहावना  था  l  लोग  इस  सत्य  को  जानते  थे  कि   ये  धरती , ये  मिटटी , हवा ,   जल , आकाश  को  हम  नहीं  बना  सकते  ,  कोई  अज्ञात  शक्ति  है   जिसने  यह  सब  बनाया  , वो  सर्वसमर्थ  है   इसलिए  हमें  उस  अज्ञात  शक्ति  के  आगे  अपना  शीश  झुकाना  चाहिए  l  तब  उस  सभ्यता  के  जो  बुद्धिजीवी  थे  उन्होंने  अपने -अपने  विचारों  के  अनुसार   उस  अज्ञात  शक्ति  को  एक  रूप  दिया  l   अनेक  रूप  थे  और  जिसको  जो  अच्छा  लगा , वह  उसके  आगे  शीश  झुकाने  लगा  l  वह  सभ्यता  अति  संपन्न  थी ,  जैसे  लोग  बड़े  महलों  में  सुखपूर्वक  रहते  थे  वैसे  ही  उन्होंने   उस   अज्ञात   शक्ति  के  लिए  भी  बड़े -बड़े  महल  बना  दिए  l  बड़ा  मोहक  वातावरण  था  l  इस  अति  की  सुख -शांति   की  खबर  आसुरी  शक्तियों  को   मिल  गई  ,  सीधे  रास्ते  बात  बन  नहीं  रही  थी  , उन्होंने  अपने  तरीकों  से  लोगों  के  मन  और  विचारों  में  गंदगी  भरनी  शुरू  कर  दी  l  विचारों  की  इस  गंदगी  को  व्यवहारिक  रूप  देना  था   और  संसार  में  स्वयं  को  सर्वश्रेष्ठ  भी  दिखाना  था  , इसके  लिए  उन्होंने   अज्ञात  शक्ति  के  लिए  जो  बड़े -बड़े  महल  बने  थे  , उन्हें  निशाना  बनाया  l  सामान्य  जन  तो  अभी  भी  वहां  श्रद्धा  से  अपना  शीश  झुकाने  जाता  था  , उसके  प्रति  अपना  आभार  व्यक्त  करता   कि  हे  धरती  माँ , जल  ,वायु , आकाश   हम  आपके  ऋणी  है   लेकिन  आसुरी  प्रवृति  के  लोगों  ने  उन  विशाल  महलों  की   अपनी  कामना , वासना , लालच , स्वार्थ , महत्वाकांक्षा   और  अतृप्त  इच्छाओं  की  पूर्ति  का  स्थान  बना  लिया  l  सामान्य  जन  को  उनकी  इन  करतूतों  की  भनक  न  लग  जाए  इसकी  भी  पर्याप्त  व्यवस्था  की ,  और  यदि  जनता  को  खबर  लग  जाये  तो  उन्हें  कंट्रोल  करने  के  साधन  भी  एकत्रित  कर  लिए   l  सामान्य जन  तो  बेखबर  था   लेकिन  ईश्वर  तो  सब  देख  रहे  थे   l  पाप  , अनाचार  की  अति  हो  गई   , प्रकृति  से  यह  सब  सहन  नहीं  हुआ  l  भयंकर   आँधी  , तूफ़ान , वर्षा ,   प्रलय  की  स्थिति  आ  गई   और  एक  भयानक  भूकंप  के  साथ  वह  सभ्यता  धरती  में  समा  गई   l  कुछ  लोग  जो  बच  गए  वे  आकाश  की  ओर  देखकर   बार -बार  पूछ  रहे  थे , प्रार्थना  कर  रहे  थे  कि  आखिर  ऐसा  क्यों  हुआ   ?   उनकी  आँखों  से  निरंतर  आँसू  गिर  रहे  थे  , ऐसा  क्यों  हुआ  ?   क्या    कुसूर  था  ?  ब्रह्माण्ड  से  एक  ही  आवाज  आई  --- ईश्वर  को  धोखा  दिया  , धोखा --- ---- उनकी  पवित्रता  को  नष्ट  किया  , सामान्य  जन  भी  जागरूक  नहीं  था  l  '