मनुष्य के जीवन में अनेक समस्याएं निरंतर ही उसे घेरे रहती हैं l धन -वैभव , सुख -सुविधा के साधनों से सभी समस्याएं हल नहीं होतीं , टेंशन बना ही रहता है l इस तनाव का सबसे बड़ा कारण यह है ---- दिखावे की जिंदगी l वह जैसा है वैसा दिखना और दिखाना नहीं चाहता < अपनी असलियत को समाज से छुपाना चाहता है l यह समस्या गरीब वर्ग की नहीं है l यह समस्या है मध्यम और अमीर वर्ग की l यदि जीवन खुली किताब की तरह हो तो कहीं कोई तनाव नहीं होगा लेकिन इस युग में लोगों के स्वयं को बहुत अच्छा , श्रेष्ठ गुण संपन्न , सबका भला चाहने वाला , सब की मदद करने वाला संभ्रांत व्यक्ति होने की होड़ लगी है l मनुष्य होने के नाते काम , क्रोध , लोभ , मोह , ईर्ष्या ,द्वेष , स्वार्थ , लालच , महत्वाकांक्षा सभी में थोड़ी -बहुत होती है लेकिन जिसमें इनमे से कोई भी भाव अधिक है वह उनसे जुड़ी हुई गलतियाँ भी करता है , बड़े अपराध भी करता है और फिर समाज में स्वयं को शरीफ दिखाने के लिए मुखौटा लगाए रहता है ताकि कोई उसकी असलियत न जान पाए l उसका सबसे बड़ा तनाव इस मुखौटे के उतरने का है l इस मुखौटे को बचाए रखने के लिए उसे कितने पापड़ बेलने पड़ते है , यह उसके तनाव का सबसे बड़ा कारण है , इसका इलाज डॉक्टर के पास भी नहीं है l ऋषि चिन्तन यही है कि जैसे हो वैसे ही दिखो , , जो उपदेश देते हो वैसा ही स्वयं का आचरण हो , यदि गलती हो गई है तो उसे स्वीकार करो , स्वयं को सुधारने का संकल्प लो l अपने अहंकार के कारण व्यक्ति स्वयं ही अपने जीवन को तनावग्रस्त बना लेता है और बीमारियों को आमंत्रित करता है l