22 September 2024

WISDOM -------

  इस  धरती  पर  एक -से -बढ़कर  एक  महान  ऋषि -मुनि , योगी , तपस्वी  हुए  हैं  ,  जिनका  ईश्वर  से  साक्षात्कार  हुआ  l  इन  महान  आत्माओं  ने  संसार  को  जो  दिया   वह     अमूल्य  है   और  आज  भी  वे  अप्रत्यक्ष  रूप  से  इस  धरा  को  बचाने  के  लिए  प्रयत्नशील  हैं  l  आज  स्थिति  भयावह  है  क्योंकि  मनुष्य   इतना  बुद्धिमान  हो  गया  है  कि  अब  मनुष्य  , मनुष्य  से  ही  भयभीत  है  l  कलियुग  की  यही  सबसे  बड़ी  विशेषता  है  कि  इस  युग  में  मनुष्य  इतना  चतुर  हो  गया  है  कि  वह  भगवान  को  भी  धोखा  दे  सकता  है  ,  फिर  घर -परिवार में , समाज  में   और  संसार  में  धोखा   देना , छल -कपट , षड्यंत्र  रचना  उसके  बांये  हाथ  का  खेल  है  l  रावण  के  तो  दस  शीश  संसार  के  सामने  स्पष्ट  थे   लेकिन  आज  मनुष्य  के  जितने  शीश  हैं  उनकी  तह  तक  पहुंचना  असंभव  है  l  व्यक्ति  सामने  कुछ  है  और  परदे  के  पीछे  उसका  दूसरा  रूप  है  l  यह  स्थिति  समाज  के  लिए  तो  घातक  है  ही  लेकिन  उस  व्यक्ति  के  लिए  महा घातक  है   क्योंकि  अनेक  रूप  होने  से  व्यक्ति  स्वयं  भूल  जाता  है  कि  वह  वास्तव  में  है  कौन  ?  और  यहाँ  से  शुरू  हो  जाता  है   मानसिक  असंतुलन , बीमारी , विकृति  , तनाव  l   मनुष्य  की   अतृप्त  कामनाएं , वासना , तृष्णा , महत्वाकांक्षा   उसे  विभिन्न  रूप  रखने  को  विवश  करती  हैं  l -------  बार -बार  रंग  बदलने  की   अपनी  पटुता  का  प्रदर्शन  करते  हुए   गिरगिट  ने  कछुए  से  कहा  ---- महाशय  !  देखा  मैं  संसार  का  कितना  योग्य  व्यक्ति  हूँ   l "  कछुए  ने  धीरे  से  कहा --- "  महाशय  !  दूसरों  को  धोखा  देने  की   इस  योग्यता  से   तो  तुम   अयोग्य   ही  बने  रहते   तो  अच्छा  था  l  कम -से -कम  लोग  भ्रम   में  तो  न  पड़ते  l