2 June 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- "  हर  काम  में  समझदारी  जरुरी  है  l  कभी  किसी  की  नक़ल  नहीं  करनी  चाहिए  l    हमेशा  विवेक  से  काम  करना  चाहिए  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  --- योग  में  भी  विवेक  और  समझदारी  को  अपनाया  जाना  चाहिए   l  योग  की  अनेक  विधियाँ  हैं   लेकिन  हमें  उनकी  अंधी  नक़ल  नहीं  करनी  चाहिए   जैसे  योग  में  सुखपूर्वक  स्थिर  बैठने  का  नाम  आसन  है   l  इसलिए  आसन  का  चयन  अपनी  शारीरिक  और  मानसिक  स्थिति  के  अनुसार  विवेकपूर्ण  ढंग  से    करना  चाहिए  l  आसन  ऐसा  हो  जिसमें  सुखपूर्वक  बैठा  जा  सके  , शरीर  को  कष्ट  न  हो  , शरीर  सरल  अवस्था  में  रह  सके  l  क्योंकि  यदि  शरीर  को  कष्ट  होगा   तो   मन  शरीर  में  ही  अटका  रहेगा   तो  ध्यान  कैसे  होगा  l "   आचार्य श्री  ने  योग     और  गायत्री  मन्त्र  का  जप    इतनी  सरल  ढंग  से  समझाया  कि  यह  सामान्य  जन  के  लिए  भी  संभव  हो  सका  l                                एक  कथा  कहते  हैं ----  एक  गाँव  में  एक  हकीम  था  , उसकी  बड़ी  ख्याति  थी  l  वृद्ध  हो  गया  , दूर  लोगों  के  बुलाने  पर  जाने  में  परेशानी  होती  थी  इसलिए  उन्होंने   एक  युवक  को  अपना  शागिर्द  बनाया  l  उस  युवक  को  प्रसिद्ध     होने  की  बहुत  जल्दी  थी   इसलिए  कुछ  बातें  तो  सीखता   लेकिन   कुछ  की  हुबहू  नक़ल  कर  लेता  l  हकीम  साहब  उसे  समझाते  भी  कि  चिकित्सा  में  नक़ल  नहीं  करनी  चाहिए  लेकिन  वह  नहीं  समझता  l  एक  बार  वह  हकीम  साहब  के  साथ  एक  मरीज  के  पास  गया  l  हकीम  साहब  ने  मरीज  का  रोग  जानने  के  लिए  उसकी  नब्ज  पकड़ी  और  उससे  कहा --- "  ये  सरदी  के  दिन  हैं   और  तुम  अमरुद  बहुत  खाते  हो   l  यही  वजह  है  कि  तुम्हारी  बीमारी  ठीक  नहीं  हो  रही  l "   वह  युवक  हकीम  साहब  के  इस  निदान  से  चमत्कृत  रह  गया    , उसने  पूछा  ---- "  आपने  नब्ज  देखकर  कैसे  बता  दिया  कि  वह  व्यक्ति  अमरुद  खाता  है  l "  वृद्ध  हकीम  ने  कहा --- "  यह  तो  साधारण  सी  बात  है   l  उस  मरीज  की  चारपाई  के  नीचे   कुछ  खाए  हुए  और  कुछ  साबुत  अमरुद  रखे  थे  l "  वह  युवक  नक़ल  तो  करता  ही  था  ,  अब  उसे  एक  नई  विधि  मिल  गई  l   अगले  ही  दिन  एक  मरीज  को  देखने  दूर  गाँव  जाना  था  , वृद्ध  हकीम  ने  उस  युवक  को  भेज  दिया  l  युवक  ने  मरीज  के  घर  पहुंचकर   उसकी  नब्ज   देखी  और  साथ  ही  चारपाई  के  नीचे  भी  देखा   जहाँ  घोड़े  की  जीन , काठी  और   घोड़े  के  पांव  की  नाल  पड़ी  थी  l  ये  सब  देखकर  उसने  कहा --- " लगता  है  तुमने  घोड़े  बहुत  खाए  हैं , इस  वजह  से  तुम  बीमार  हो  l  यदि  तुम  घोड़े  खाना  छोड़  दो  तो  तुम  ठीक  हो  जाओगे  l "  मरीज  यह  सुनकर  हैरान  रह  गया  और  बोला , " तुम  हकीमों  जैसी  नहीं  , पागलों  जैसी  बात  कर  रहे  हो  l "   मरीज  ने  उसे  भगा  दिया  l    युवक   ने  वापस  पहुंचकर  अपना  यह  अनुभव   वृद्ध  हकीम  को  बताया  तो  वे  भी  हैरान  हो  गए   और  कहने  लगे  --- "  इसीलिए  मैं  तुमसे  कहता  हूँ  कि  सीखने  की  कोशिश  करो  , नक़ल  करने  की  कोशिश  मत  करो  l "