पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " हर काम में समझदारी जरुरी है l कभी किसी की नक़ल नहीं करनी चाहिए l हमेशा विवेक से काम करना चाहिए l आचार्य श्री कहते हैं --- योग में भी विवेक और समझदारी को अपनाया जाना चाहिए l योग की अनेक विधियाँ हैं लेकिन हमें उनकी अंधी नक़ल नहीं करनी चाहिए जैसे योग में सुखपूर्वक स्थिर बैठने का नाम आसन है l इसलिए आसन का चयन अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुसार विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए l आसन ऐसा हो जिसमें सुखपूर्वक बैठा जा सके , शरीर को कष्ट न हो , शरीर सरल अवस्था में रह सके l क्योंकि यदि शरीर को कष्ट होगा तो मन शरीर में ही अटका रहेगा तो ध्यान कैसे होगा l " आचार्य श्री ने योग और गायत्री मन्त्र का जप इतनी सरल ढंग से समझाया कि यह सामान्य जन के लिए भी संभव हो सका l एक कथा कहते हैं ---- एक गाँव में एक हकीम था , उसकी बड़ी ख्याति थी l वृद्ध हो गया , दूर लोगों के बुलाने पर जाने में परेशानी होती थी इसलिए उन्होंने एक युवक को अपना शागिर्द बनाया l उस युवक को प्रसिद्ध होने की बहुत जल्दी थी इसलिए कुछ बातें तो सीखता लेकिन कुछ की हुबहू नक़ल कर लेता l हकीम साहब उसे समझाते भी कि चिकित्सा में नक़ल नहीं करनी चाहिए लेकिन वह नहीं समझता l एक बार वह हकीम साहब के साथ एक मरीज के पास गया l हकीम साहब ने मरीज का रोग जानने के लिए उसकी नब्ज पकड़ी और उससे कहा --- " ये सरदी के दिन हैं और तुम अमरुद बहुत खाते हो l यही वजह है कि तुम्हारी बीमारी ठीक नहीं हो रही l " वह युवक हकीम साहब के इस निदान से चमत्कृत रह गया , उसने पूछा ---- " आपने नब्ज देखकर कैसे बता दिया कि वह व्यक्ति अमरुद खाता है l " वृद्ध हकीम ने कहा --- " यह तो साधारण सी बात है l उस मरीज की चारपाई के नीचे कुछ खाए हुए और कुछ साबुत अमरुद रखे थे l " वह युवक नक़ल तो करता ही था , अब उसे एक नई विधि मिल गई l अगले ही दिन एक मरीज को देखने दूर गाँव जाना था , वृद्ध हकीम ने उस युवक को भेज दिया l युवक ने मरीज के घर पहुंचकर उसकी नब्ज देखी और साथ ही चारपाई के नीचे भी देखा जहाँ घोड़े की जीन , काठी और घोड़े के पांव की नाल पड़ी थी l ये सब देखकर उसने कहा --- " लगता है तुमने घोड़े बहुत खाए हैं , इस वजह से तुम बीमार हो l यदि तुम घोड़े खाना छोड़ दो तो तुम ठीक हो जाओगे l " मरीज यह सुनकर हैरान रह गया और बोला , " तुम हकीमों जैसी नहीं , पागलों जैसी बात कर रहे हो l " मरीज ने उसे भगा दिया l युवक ने वापस पहुंचकर अपना यह अनुभव वृद्ध हकीम को बताया तो वे भी हैरान हो गए और कहने लगे --- " इसीलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि सीखने की कोशिश करो , नक़ल करने की कोशिश मत करो l "