5 January 2025

WISDOM -----

   धर्म  के  नाम  पर  संसार  में  कितना  लड़ाई  झगड़ा  है  l  थोडा  बहुत   झगड़ा  तो  ठीक  है    लेकिन   बड़े  स्तर  पर  झगड़ें  करने  से  पहले   सच्चा  धर्म  क्या  है  ?  यह  जानना  बहुत  जरुरी  है   l  एक  कथा  है  ----- एक  राजा  के  तीन  पुत्र  थे  l  राजा  हर  तरह  से  परख  कर  ही  अपने  उत्तराधिकारी  का  चयन  करना  चाहता  था  l  इसलिए  एक  दिन  राजा  ने  उन्हें  बुलाकर  कहा  --- "जाओ , किसी  धर्मात्मा  को  खोजकर  लाओ  l "  तीनों  राजकुमार  धर्मात्मा  की  खोज  में  निकल  पड़े  l  कुछ  दिनों  बाद  एक  पुत्र  , एक  सेठ  को  लेकर  राजा  के  पास  पहुंचा   और  बोला  --- :  पिताजी  !  इन  सेठ जी  ने  अनेकों  धर्मशालाएं  व  मंदिर  बनाए  हैं  l "  राजा  ने   सेठ  से  ऐसा  करने  का  कारण  पूछा  तो  उसने  कहा ---"  मैंने  सुना  है  ऐसा  करने  से  पुण्य  मिलता  है   और  हमारा  नाम  भी  चलता  रहता  है  l  "  राजा  ने  उनका  सम्मान  किया  और  आदर  सहित  विदा  किया  l  दूसरा  राजकुमार  एक  ब्राह्मण को  लेकर  लौटा   और  राजा  से  उनका  परिचय  देते  हुए  बोला --- "  यह  बहुत  ज्ञानी  और  तपस्वी  हैं  l "  राजा  ने  उनसे  धर्म  की  परिभाषा  पूछी  तो  उन्होंने  कहा ---- " शास्त्र  के   अनुसार   सब  कर्मकांड  करने  से  स्वर्ग  की  प्राप्ति होती  है  ,  उसका  पालन  करना  ही  धर्म  है  l "  राजा  ने  उन्हें  भी  दक्षिणा  देकर  सम्मानपूर्वक  विदा  किया  l   तीसरा  राजकुमार  एक  गरीब  से  व्यक्ति  को  लेकर  पहुंचा  l  राजा  के  पूछने पर  वह  बोला --- " पिताजी  !  यह  व्यक्ति  एक  घायल  गाय  की  सेवा  कई  दिनों  से  कर  रहा  था  l  मुझे  लगा कि  इस  व्यक्ति  के   अन्दर  सही  धर्मात्मा  होने  का  भाव  है  l  "  राजा  ने  उससे  पूछा  --- "  तुम  कोई  धर्म  का  काम  करते  हो  ? "  वह  आदमी  बोला  -महाराज  !  मैं  एक  गरीब  किसान    हूँ  , अनपढ़  हूँ  , धर्म , कर्म  कुछ  जानता  नहीं  हूँ  l  यदि  कोई  जरूरतमंद , रोगी , दुःखी , अभावग्रस्त  दीख  पड़ता  है  तो  यथाशक्ति  उसकी  मदद  अवश्य  करता  हनल "  यह  सुनकर  राजा  ने  उस  तीसरे  पुत्र  से  कहा --- "  कुछ  पाने  की  आशा  किए  बिना  सचे  ह्रदय  से  दूसरों  की  सेवा  करना  ही  धर्म  है  l  तुम  ही  सच्चे  धर्मात्मा  को  लेकर  लौटे  हो  l  तुम्हे  मनुष्यों  की  पहचान  है  , इसलिए  तुम्हे  ही  राजगद्दी  का  उत्तराधिकारी  नियुक्त  किया  जाता  है  l "  

WISDOM -----

  एक  व्यक्ति  ने  सुन  रखा  था  कि  तप  करने  से  अहंकार  मिट  जाता  है  l  क्रोध  चला  जाता  है  l  वह  घर  छोड़  के  हिमालय  चल  दिया  l   जंगलों  के  पार  बर्फीली गुफाओं  में  बैठकर  साधना  करने  लगा  l  उसे  ऐसा  करते  बीस  वर्ष  बीत  गए ,  वह  अकेला  ही  रहता  था  l   उसे  अहंकार  व  क्रोध  का  मौका  ही  नहीं  मिलता  था  l  उसने  सोचा  ---चलो  अहंकार  से  छुटकारा  मिला  l  अब  वापस  लौट  चलना  चाहिए  l  वह  गुफा  से  निकलकर  नीचे  आया  ,  जब  लोगों  को  पता  चला  कि  वह  बीस  वेश  तक  हिमालय  की  गुफाओं  में  तप  का  के  आया  है  ,  तो  भीड़  इकट्ठी  होने  लगी  l  उसके  दर्शनों  के  लिए  लोग  आते ,  पैर  छूते , परिक्रमा  करते  l  महात्मा  के  मन  में   ऐसा  सम्मान  पाकर  गुदगुदी  होती  l  एक  दिन  भक्तों  ने  कहा  --- चलें  कुम्भ  स्नान  कर  के  आएं  l  महात्मा  चल  पड़े  l  मेला -ठेला  की  भीड़  में   उनके  पैर  पर   जमकर   किसी  का  भूलवश  पैर  पड़  गया  l  महात्मा  तिलमिला  गए  और  उछलकर  उस  व्यक्ति  की  गर्दन  पकड़  ली   और  बोले  ---- "  जानता   नहीं  दुष्ट  , मैं  कौन  हूँ  ? "  महात्मा  के  अंदर  छुपा  अहंकार  और  क्रोध  भी  उछलकर  ऊपर  आया  l  लोग  हैरान  हो  गए   कि  ये  कैसा  महात्मा  है  ?  कोई  जानबूझकर  पैर  तो  नहीं  रखा  है  , जो   इतना  आगबबूला   हो  गया l     ऋषि  कहते  हैं  ---- यदि  व्यक्ति  अपने  पर  ही   नियंत्रण  न  कर  पाए  तो  उसकी   एकांत  साधना , तप  तितिक्षा  सब  व्यर्थ  है  l  सच्ची  साधना  जंगल  में  नहीं  संसार  में  रहकर  होती  है  , जहाँ  मन  को  विचलित  करने  के  अनेक  साधन  हैं  ,  उनके  बीच  रहकर  मन  को  नियंत्रित  कर  शांति  से  रहना  ही  तप  है  l  और  मन  भी  स्वाभाविक  रूप  से  नियंत्रित  होना  चाहिए  ,  उसे  बलपूर्वक  नियंत्रित  करने  के  दुष्परिणाम  हो  सकते  हैं  l