3 January 2025

WISDOM -----

   सुख -शांति  से   और  तनावरहित  जीवन  जीने  का  एक  महत्वपूर्ण  सूत्र  हमारे  धर्मग्रंथों  में  और  पुराण  की  विभिन्न  कथाओं  के  माध्यम  से  हमें  समझाया  गया  है  l----  तनावरहित  जीवन  जीने  के  लिए  हमें  यह   स्वीकार  करना  होगा  कि  हमारा  वर्तमान  जीवन  केवल  यह  एक  ही  जीवन  नहीं  है  बल्कि  युगों  से  चली  आ  रही  हमारी  यात्रा  का  एक  पड़ाव  है  l  इस  वर्तमान  जीवन  में  हमें  जो  भी  सुख -दुःख , मान -अपमान , हानि -लाभ   मिल  रहा  है  वह  हमारे  ही  कर्मों  का  परिणाम  है  l  कभी -कभी  ऐसा  भी  होता  है  कि  हम  किसी  का  अहित  नहीं  कर  रहे , सन्मार्ग  पर  चल  रहे  हैं   फिर  भी   हमें    जीवन  में  बड़े  दुःख , अपमान , तिरस्कार , धोखा , छल -कपट , मानसिक  उत्पीड़न   सहन  करना  पड़ता  है  l  इस  सत्य  को  स्वीकार  करने  से  आत्मा  में  वह  शक्ति  आ  जाती  है  जिससे  हम  बड़े  धैर्य  के  साथ  अपना  कर्तव्यपालन  करते  हुए  और   सत्कर्म  करते  हुए  अपने  कर्मों  के  भार  को  काटते  हैं  l  मन  में  यह  अटूट  विश्वास  होता  है  कि  वर्तमान  के  सत्कर्म   जन्म -जन्मान्तर  के  कर्म  भार को  कम कर  देंगे  और  फिर  जीवन  में  सुनहरा  सूर्योदय  अवश्य  होगा l  जो  पुनर्जन्म  और  इस  यात्रा  में  विश्वास  नहीं  रखते   उनके  लिए  भी  यह तर्क  अपने  तनाव  को  कम  करने  के  लिए  अच्छा  है  क्योंकि  दवाई  और  इंजेक्शन  से   तनाव  को  जड़  से   समाप्त  नहीं  किया  जा  सकता  , मन  को  समझाना  जरुरी  है  l  दूसरा  पक्ष  जो  अत्याचार   करता  है  , लोगों  को  उत्पीड़ित  करते  हैं  ,  उन्हें  भी  यह  समझना  चाहिए  कि  वे  भगवान  नहीं  हैं  जो  किसी  को  उसके  किसी  जन्म  में  किए  गए कर्मों  का  फल  दे  रहे  हैं l  यही   व्यवहार    जब  उनके  साथ  दोहराया   जाए  तो  उन्हें  कैसा  लगेगा  l  मनुष्य  केवल  कर्म  कर  सकता  ,  उन  अच्छे  या  बुरे  कर्मों  का  फल  हमारी  जीवन  यात्रा  के  किस  पड़ाव  पर  ,  किसके  माध्यम  से   और  किस  प्रकार  मिलेगा  यह  काल  निश्चित  करता  है  l  मनुष्य  के  हाथ  में  उसका  वर्तमान  है  ,  सत्कर्म  करते  हुए  सन्मार्ग  पर  चलकर  सुन्दर  भविष्य  का  निर्माण  किया  जा सकता  है  l  

WISDOM ------

   स्वामी  रामतीर्थ  अमेरिका  पहुंचे  l  कस्टम  पर  मौजूद  अधिकारी  ने  उनसे  उनके  व्यवसाय  के  बारे  में  पूछा  l  रामतीर्थ  हँसे  और  बोले  ---- "  मैं  बादशाह  हूँ  और  ये  सारी  दुनिया  मेरी  सल्तनत  है  l "  अधिकारी  चकित  हुआ  और  बोला  ---"  आपके  पास  निज  संपत्ति  के  रूप  में   सिर्फ दो  लंगोटियां  हैं  तो  आप  अपने  आपको  बादशाह  कैसे  बोल  सकते  हैं l "  रामतीर्थ  बोले  ----- " अरे  मित्र  ! मैं  बादशाह  इसलिए  नहीं  हूँ  कि  मेरे  पास  अपार  दौलत  है  या  मुझे  उसकी  चाह  है  l  मैं  बादशाह  इसलिए  हूँ  कि  न  मुझे  किसी  चीज  की   चाह    है   और  न  ही  उसकी  आवश्यकता  l  भगवान  ने  मुझे  जैसा  बनाया  है  ,  मैं  उसमे  पूरी  तरह  संतुष्ट  हूँ  l  "                इस  प्रसंग  से  यही  शिक्षा  मिलती  है  कि   हम  सर्वप्रथम  स्वयं  से  प्रेम  करना  सीखें  l  ईश्वर  ने  हमें  जो  कुछ  दिया  ,  हमें  जैसा  भी  बनाया   उसमे   संतुष्ट  रहकर   निरंतर  सत्कर्म  और  कर्तव्यपालन  करते  हुए   अपने  जीवन  को  और  सुन्दर  बनाने  का  प्रयास  करें  l