11 September 2024

WISDOM -----

  संसार  में  आज  इतना  पाप , अनर्थ , अनीति , अत्याचार  बढ़  रहा  है  , इसका  मुख्य  कारण  यही  है   कि    मनुष्यों    ने   कर्म फल   और  पुनर्जन्म  पर  विश्वास  करना  छोड़  दिया  है  l  विद्वानों  के  इस  सन्देश  को  कि  ' वर्तमान  में  जिओ  '  लोगों  ने  गलत  ढंग  से  ले  लिया  l  अब  लोग  इस  तरह  सोचने  लग  गए  हैं  कि   नैतिक - अनैतिक , सही -गलत  किसी  भी  तरीके  से  जितना  सुख  , ऐशो -आराम  भोग  लो , चाहे  जितना  छल -कपट , षड्यंत्र  कर  लोगों  को  उत्पीड़ित  कर  लो  ,  अगला  जन्म  किसने  देखा  ?   जो  होगा   सो  देखा  जायेगा  l  ---इस  तरह  की  सोच  होने  के  करण  ही  समाज  में  पाप  अपराध  बढ़  रहे  हैं  l  थोड़ी  सी  भी  शक्ति  आ  जाए  तो  व्यक्ति  अपने  को  सर्वसमर्थ , भगवान  समझने  लगता  है  , उसे  लगता  है  कि  वही  सबका  भाग्य -विधाता  है  l  कर्मफल  विधान  को  समझाने  वाले  अनेक प्रसंग , कथाएं  हैं   लेकिन  अपने  ही  मानसिक  विकारों  में  फँसा  हुआ  व्यक्ति  समझता  नहीं  है  l -------- आचार्य  महीधर   अपने  शिष्यों   के   साथ   तीर्थयात्रा  पर  थे  l   रात्रि  में  जंगल  में  रुक  गए  l  रात्रि  में  ही  उन्हें   समीप  के  अंधे  कुएं  से  करुण  क्रंदन  सुनाई  पड़ा  l  वे  वहां  पहुंचे  तो  देखा  पांच  व्यक्ति  औधेमुँह  पड़े  बिलख  रहे  हैं  l   आचार्य  ने  उनसे  पूछा  --- 'आप  कौन  हैं  , इस  कुएं  में  क्यों  गिरे  हैं  ? '   उनमें  से  एक  ने  कहा --- " हम  पांच  प्रेत  हैं  , कर्मफल  भोग  रहे  हैं  l '  आचार्य  ने  उनसे  उनकी  ऐसी  दुर्गति  का  कारण  पूछा  , तब  उनमें  से  एक  ने  कहा ---- " वह  पूर्वजन्म  में  ब्राह्मण  था  l  दक्षिणा  बटोर  कर  विलासिता  में  खर्च  करता  था  l  उपासना  कभी  नहीं  की  l "   दूसरे  ने  कहा  ---- " वह  क्षत्रिय  था  , पर  दुःखियों   को  पीड़ा  देता  ,  मांस - नशा  , आदि  विभिन्न  कुकृत्य  में   निरत  रहा  l "   तीसरा  बोला --- " मैं  वैश्य  था  l  हमेशा  अपने  ही  लाभ  की  सोचता ,  बिक्री  में  हेराफेरी  करता  , कभी  दान  नहीं  किया  l "  चौथे  ने  कहा --- "  मैं   शूद्र   था , अहंकारी , आलसी , दुर्व्यसनी  l  कभी  जिम्मेदारी  का  पालन  नहीं  किया  l "   पांचवां  प्रेत  किसी  को  अपना  मुँह  नहीं  दिखाता   था , निरंतर  रोता  जा  रहा  था  l  बहुत  पूछने  पर  वह  बोला --- " मैं  पूर्वजन्म  में  साहित्यकार  था  ,  पर  अपनी  कलम  से  मैंने   अश्लीलता   और  फूहड़पन  फ़ैलाने  वाला  साहित्य  लिखा  l  मैंने  वासना  भड़काई  और  सारे  समाज  को  भ्रष्ट  किया  l  इसलिए  मुझे  ब्रह्म राक्षस  बनकर  इस स्थिति  में  भटकना  पड़  रहा  है  l "  उन  पाँचों  प्रेतों  ने  आचार्य  से  प्रार्थना  की  कि   वे  समाज  में   उनकी  ( प्रेतों )  की  दुर्गति  का  कारण  सभी  को  बता  दें  , ताकि  वे  लोग  ऐसी  भूल  न  करें  l