7 June 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' मनुष्य  मोह -माया , कामना , वासना  और  तृष्णा  के  जाल  में , इसकी  दलदल  में  ऐसा   फँसा  है  कि  उसका  विवेक  जाग्रत  ही  नहीं  हो  पाता  l   जिस  तरह  मक्खी  या  चींटी   गुड़  की  चाशनी  में   एक  बार  चली  जाए   तो  फिर  वहां  से  वह  निकल  नहीं  पाती   और  अंततः  उसकी  वहीँ  मृत्यु  हो  जाती  है  l  "    उम्र  चाहे  ढल  जाए  लेकिन   विवेक  न  होने  के  कारण  मनुष्य  इन  एषणा  के दलदल  के  बाहर  नहीं  निकल  पाता  , इच्छाओं  का  अंत  नहीं  है  l  इसी  संबंध  में  श्रीरामकृष्ण  परमहंस जी  एक  कथा    कहते  हैं ------  एक  व्यक्ति  घने  जंगल  में  भागा  जा  रहा  था  l  घना   अँधेरा  था  l   अँधेरे  के  कारण  रास्ते  में  कुआँ   उसे  दिखाई  नहीं  दिया   और  वह  उसमें  गिर  गया  l  गिरते -गिरते  उसके  हाथ  में   कुएं   पर  झुके  हुए  वृक्ष  की  डाल  आ  गई  l  उसने  नीचे  झाँका  तो  देखा   कुएं  में  चार  विशाल  अजगर  ऊपर  की  ओर   मुँह   फाड़े  देख  रहे  हैं  l  उसने  ऊपर  देखा  तो  दो  चूहे  उस  डाल  को  कुतर  रहे  थे  जिसे  वह  पकड़े  था  l  इतने  में  एक  हाथी  कहीं  से  आया   और  वृक्ष  के  तने  को   हिलाने  लगा  l  उस  वृक्ष  के  ठीक  ऊपर  की  शाखा  पर  मधुमक्खी  का  छत्ता  था  l  हाथी  के   हिलाने  से  मक्खियाँ  उड़ने  लगीं   और  छत्ते  से  शहद  की   बूँदे    टपकने  लगीं  l  एक  बूँद  शहद  उसके   ओठों  पर  गिरा  l  उसकी  जीभ  तो  प्यास  से  सूख  रही  थी  , उसने   जीभ  को  ओठों  पर  फेरा  ,  शहद  की  उस  बूँद  में  अद्भुत  मिठास  थी  l  उसने  मुँह  ऊपर  किया  तो  कुछ  क्षण  बाद   फिर  शहद  की  बूँद  मुँह  में  टपकी  l  वह  उसकी  मिठास  में  इतना  मगन  हो  गया  कि  आसपास  की   विपत्तियों  को  भूल  गया  l  उसी  समय  शिव -पार्वती  जंगल  से  भ्रमण  करते  हुए  निकले  l  पार्वतीजी  ने  भगवान  शिव  से  उसे  बचा  लेने  का  अनुरोध  किया  l  शिवजी  ने  उसके  निकट  जाकर  कहा --- " आओ , मैं  तुम्हे  बाहर  निकालता  हूँ  ,  मेरा  हाथ  पकड़  लो  l "   उस  व्यक्ति  ने  कहा ---- " बस ,  एक  बूँद  शहद  और  चाट  लूँ   फिर  मुझे  निकाल  लेना  l "  हर  बूँद  के  बाद  अगली  बूँद  की  प्रतीक्षा  चलती  रही  l  अंत  में  भगवान  शिव  उसे  छोड़कर  चले  गए   और  वह  व्यक्ति  वहीँ  फँसकर  रह  गया  l  इस  कथा  में  प्रतीकात्मक  अर्थ  हैं ---- अजगर  मृत्यु  का  प्रतीक  है  l  दो  चूहे  दिन और  रात   का  l  हर  पल  बीतने  के  साथ  व्यक्ति  मृत्यु  की  ओर  बढ़ता   है  l  शहद  की  बूँदे  सांसारिक  सुख  हैं  ,  वह  इस  सुख  में  इतना  डूबा  हुआ  ही  कि  उसे  आसपास  के  खतरे  भी  दिखाई  नहीं  देते  l  सुख  की  माया  में  डूबे  हुए  व्यक्ति  को   फिर  भगवान  भी  नहीं  बचा  पाते  l