5 August 2024

WISDOM ------

  उज्जयिनी  नगर  में   एक  निडर  व  साहसी  युवक  रहा  करता  था  l  उसे  ज्ञात  हुआ  कि   राज्य  के  राजा  के  नि:संतान  मर  जाने  के  कारण   नए  राजा  की  तलाश  हो  रही  है   l  उस  युवक  ने  उस  हेतु  स्वयं  का  नाम  प्रस्तावित  करने  की  सोची  l  राज्य  के  मंत्रियों  ने  उसे  बताया  कि  तुमसे  पहले  भी   अनेक  लोग  इस  हेतु  आए  ,  परन्तु  किसी  शापवश   उनमें  से  प्रत्येक  का  निधन  राज्याभिषेक   की  रात्रि  में  ही  हो  गया  l  जीवन  सुरक्षित  चाहते  हो  तो   ऐसा  न  करो  l  युवक  निडर  था  l   उसने  बिना  किसी  भय  के  चुनौती  स्वीकार  कर  ली  l  राज्याभिषेक  होने  के  उपरांत  उसने  विचार  किया  कि  अवश्य  किसी  देव  या  दानव  का   का  रोष  इस  राज्य  पर   रहा  होगा  ,  उसे  संतुष्ट  कर  देने  से   इस  समस्या  से  बचा  जा   सकता  है   l  उसने  रात्रि  में  अपने  कक्ष  में  अनेक  व्यंजन  बनवा  कर  रखे   और  वह  स्वयं  एक  कोने  में  तलवार  लेकर  बैठ  गया   l  रात  को  देवराज  इंद्र  का  द्वारपाल  ,  अग्निवेताल   वहां  आया   और  उन  व्यंजनों  के  देखकर  प्रसन्न  हो  गया  l  उन्हें  ग्रहण  कर  के  वह  बोला  ---- "  राजन  !  यदि  तुम  नित्य  ऐसे  व्यंजन  का  प्रबंध  करो   तो  मैं  तुम्हे  अभयदान  दूंगा  l "  राजा  ने  उसका  प्रस्ताव  स्वीकार  कर  लिया   और  उससे  कहा ---- "  तुम  देवराज  इंद्र  से  पूछकर   के  बताओ  कि  मेरी  उम्र  कितनी  है  l "  अगले  दिन  अग्निवेताल  ने  उसे  बताया  --- "  उसकी  उम्र  सौ  वर्ष  है   l "    यह  सुनते  ही  राजा  ने  तलवार   अग्निवेताल  के  सिर  पर  रख  दी   और  कहा ---- "  इसका  अर्थ  है  कि  तुम  मेरा  अंत  सौ  वर्ष  तक  नहीं  कर  सकते  l "   अग्निवेताल  राजा  की  बुद्धिमत्ता  और  निडरता  से   अत्यंत  प्रसन्न  हुआ   और  उन्हें  अक्षुण्ण  राज्य  का  वरदान  दिया  l  वह  राजा  ही  आगे  चलकर    सम्राट  विक्रमादित्य   के  नाम  से  प्रसिद्ध  हुए  l