14 June 2024

WISDOM --------

   1. बात  उन  दिनों  की  है  , जब  बुद्ध  के प्रथम  शिष्य   आनंद  श्रावस्ती   पहुंचे  l  नगर  के  श्रेष्ठियों   ने  उनसे  पूछा  ----- " बुद्धं  शरणं  गच्छामि '  का  अर्थ   महात्मा   बुद्ध  की  शरण  में  जाना   होता  है  क्या  ?    यदि  ऐसा  है   तो   यह  क्या  महात्मा   बुद्ध  के  अहंकार  का  द्योतक  नहीं  ? "   आनंद  बोले ---- " श्रेष्ठि  !  क्या  आपको  पता  है   कि  जब  श्रमण  समूह   चलता  है   तो  यह  सूत्र  सभी  बोलते  हैं  ,  स्वयं  भगवान  बुद्ध  भी  l   व्यक्ति  की  शरण  में   जाने  का  भाव  इसमें  होता   तो  वे  स्वयं   न  दोहराते  l "   आनंद  ने  स्पष्ट  किया  ----- " तथागत  का  नाम   तो  सिद्धार्थ  था  l   ज्ञान  के  प्रकाश  का  बोध   होने  पर  वे  बुद्ध  कहलाए   l  जिस  प्रकाश  ने  उन्हें   बुद्ध  बनाया  ,  उसी  दिव्य  -दूरदर्शी   विवेक  की  शरण  में  जाने  का  संकेत  इस  सूत्र  में  है  l "