मानव जीवन सरल नहीं है , समस्याओं से घिरा हुआ है l व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब हो , किसी भी जाति या धर्म का हो , किसी भी देश का रहने वाला हो , सब की अपनी समस्याएं हैं l इन समस्याओं से भागकर चैन नहीं है , आप इनसे भागेंगे तो ये पीछा नहीं छोड़ेंगी , किसी न किसी रूप में ये सामने आएँगी l यह कर्मों का भुगतान है जो हमें चुकाना ही पड़ता है l इसलिए हम समस्याओं से भागें नहीं , हम जागरूक हों , अपनी विवेक बुद्धि को जगाएं और ' समाधान ' पर ध्यान केन्द्रित करें l ----- एक बार चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस अपने कुछ शिष्यों के साथ ताई नामक पहाड़ी से कहीं जा रहे थे l एक स्थान पर वे सहसा रुक गए और शिष्यों से कहा ---- " कहीं पर कोई रो रहा है l " इतना कहकर वे जिस दिशा से रोने की आवाज आ रही थी उस ओर चल पड़े l शिष्यों ने भी उनका अनुगमन किया l कुछ दूर जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री रो रही है l उन्होंने बड़ी सहानुभूति से उससे रोने का कारण पूछा l स्त्री ने बताया कि इसी स्थान पर उसके पुत्र को चीते ने मार डाला l कन्फ्यूशियस ने कहा ----- " किन्तु तुम अकेली ही दीखती हो तुम्हारे परिवार के अन्य सदस्य कहाँ हैं ? " स्त्री ने दुःखी होकर कहा --- " अब उसके परिवार में है ही कौन l इस पहाड़ी पर उसके ससुर और पति को भी चीते ने फाड़ डाला था l " कन्फ्यूशियस ने बड़े आश्चर्य से कहा --- " तो तुम इस भयंकर स्थान को छोड़ क्यों नहीं देतीं ? " स्त्री बोली -- " इस स्थान को इसलिए नहीं छोड़ती क्योंकि यहाँ पर किसी अत्याचारी का शासन नहीं है l " महात्मा कन्फ्यूशियस यह सुनकर चकित हो गए l उन्होंने अपने शिष्यों से कहा --- " निश्चित रूप से यह स्त्री करुणा और सहानुभूति की पात्र है l इसकी बात ने हम लोगों को एक महान सत्य प्रदान किया है l वह यह है कि अत्याचारी शासक , एक चीते से अधिक भयंकर होता है l अत्याचारी शासन में रहने की अपेक्षा अच्छा है कि किसी पहाड़ी अथवा वन में रह लिया जाए , किन्तु यह व्यवस्था सार्वजनिक नहीं हो सकती l इसलिए जनता को चाहिए कि सत्ताधारी को अपना सुधार करने के लिए विवश करने का उपाय करे l अत्याचारी शासन को भय के कारण सहन करने वाला समाज किसी प्रकार की उन्नति नहीं कर पाता l विकासहीन जीवन बिताता हुआ वह युगों तक नारकीय यातना भोगा करता है और सदा अवनति के गर्त में पड़ा रहकर जिस -तिस प्रकार का जीवन व्यतीत करता रहता है l इसलिए अनिवार्य है कि जनता जागरूक रहे l "