पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " कायरता मनुष्य का बहुत बड़ा कलंक है l कायर व्यक्ति ही संसार में अन्याय , अत्याचार तथा अनीति को आमंत्रित किया करते हैं l संसार के समस्त उत्पीड़न का उत्तरदायित्व कायरों पर है l " कलियुग की अनेक विशेषताएं हैं लेकिन यह एक ऐसी विशेषता है जिससे कोई भी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी संस्था , संगठन , कार्यालय , कला, साहित्य , राजनीति ------- आदि कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं बचा है l लोग स्वयं को सर्वश्रेष्ठ , सभ्य , संभ्रांत दिखाने के चक्कर में भीतर से खोखले हो गए हैं l ऐसे लोग सामने से , प्रत्यक्ष रूप से कोई विवाद नहीं करते , उनका आचरण इतना उच्च कोटि का होगा कि आप यह समझ ही न पाओगे कि उनके भीतर कौन सा असुर छिपा है l सामने मीठा बोलते हुए वे कायरों की भांति पीठ में खंजर भोंकते हैं l दूसरों की योग्यता से ईर्ष्या , अहंकार , लालच , योग्यता न होने पर दूसरों को धक्का देकर आगे बढ़ने की प्रबल महत्वाकांक्षा ---ये ऐसे कारण है कि व्यक्ति धोखा , छल , कपट षड्यंत्र रचता है जिससे उसका असली चेहरा समाज के सामने न आए और उसका उदेश्य भी पूरा हो जाए l आचार्य श्री लिखते हैं ---- " सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता l मनुष्य के व्यक्तित्व में इतने छिद्र हैं जहाँ से होकर सत्य बाहर आ ही जाता है l " कुछ वर्षों पहले जब डाकुओं की समस्या थी तब अनेक डाकू ऐसे थे जो यह घोषणा कर के आते थे कि हम अमुक गाँव में डाका डालेंगे , उनके अपने सिद्धांत थे लेकिन शिक्षा के प्रचार -प्रसार से लोगों को यह अच्छा नहीं लगा कि समाज और आने वाली पीढियां उन्हें ऐसे अपराधी के रूप में पहचाने l इसलिए अब ऐसी प्रवृत्ति के लोगों ने अपने ऊपर सफ़ेद पोश ओढ़ लिया l इसका सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि पहले डाकू एक निश्चित क्षेत्र में होते थे , उनकी पहचान थी लेकिन अब शराफत का आवरण ओढ़ लेने के कारण वे सम्पूर्ण समाज में व्याप्त हो गए और लोगों को लूटने के भी नए -नए तरीके हो गए l अब यह समस्या कैसे हल होगी ? यह तो समझ के बाहर है l कलियुग की सबसे बड़ी जरुरत है कि सब लोग ईश्वर से सद्बुद्धि की प्रार्थना करें l