कहते हैं यदि भगवान नाराज हो जाएँ तो गुरु बचाने वाले हैं , लेकिन यदि गुरु नाराज हो जाएँ तो उसे कोई नहीं बचा सकता l गुरु पूर्णिमा को ' व्यास पूर्णिमा ' भी कहा जाता है l महर्षि वसिष्ठ के पौत्र , महर्षि पराशर के पुत्र ' वेदव्यास ' जन्म के कुछ समय बाद ही अपनी माँ से आज्ञा लेकर तपस्या करने चले गए थे l वेदों को विस्तार प्रदान करने के कारण ही इनका नाम 'वेदव्यास ' पड़ा l ' गुरु पूर्णिमा ' का पर्व गुरु के प्रति समर्पित है l ' सच्चे गुरु के लिए सैकड़ों जन्म समर्पित किए जा सकते हैं l सच्चा गुरु वहां पहुंचा देता है , जहाँ शिष्य अपने पुरुषार्थ से कभी नहीं पहुँच सकता l " गुरु के द्वारा कहे गए वाक्य मूलमंत्र हैं , वे हमें जीवन जीना सिखाते हैं l l बाहरी शत्रुओं से तो एक बार हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य से लड़कर विजयी हो भी सकते हैं लेकिन अपने भीतरी शत्रुओं ---काम , क्रोध , लोभ और अहंकार पर विजय तो केवल और केवलमात्र गुरु कृपा से ही संभव है l अपनी पूजा -साधना से हम अपने मानसिक विकारों को पराजित नहीं कर सकते l अहंकार और कामवासना जैसे दुष्ट शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना तो असंभव है लेकिन सच्चे गुरु असंभव को संभव कर देते हैं l वे एक बार नहीं अनेकों बार अपने शिष्य को गहरी खाई में गिरने से बचाते हैं , उसे जीवन जीना सिखाते हैं , उसकी चेतना का विस्तार करते हैं l गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए शिष्य को भी सच्चा शिष्य बनना होगा l गुरु ने अपने प्रवचनों और साहित्य के द्वारा जो विचार हमें दिए , जो मार्ग दिखाया , उसका अनुसरण करें l