6 July 2025
WISDOM ------
ईश्वर ने इस स्रष्टि का निर्माण किया , इसमें उन्हें यह धरती सबसे अधिक प्रिय है l इस पृथ्वी का प्रत्येक कण उपयोगी है l एक बार ब्रह्माजी ने महर्षि जीवक को आदेश दिया कि पृथ्वी पर जो भी पत्ता -पौधा , वृक्ष -वनस्पति व्यर्थ दिखाई दे , उन्हें यहाँ ले आओ l लगातार 12 वर्षों तक पृथ्वी पर घूमने के बाद महर्षि लौटे और ब्रह्मा जी के समक्ष नत -मस्तक होकर बोले , प्रभो ! मैं इन 12 वर्षों में पूरी पृथ्वी पर भटका हूँ l प्रत्येक पौधे के गुण -दोष को परखा है l पर पृथ्वी पर एक भी ऐसी वनस्पति नहीं मिली जो किसी न किसी व्याधि के उन्मूलन में सहायक न हो l " पृथ्वी पर विद्यमान प्रत्येक तिनके का , जीव -जंतु , कीट -पतंगे , वृक्ष , वनस्पति , नदी , पर्वत, समुद्र सबका महत्त्व है l जब मनुष्य अपने श्रेष्ठ कर्म से धरती रूपी इस बगिया को सुन्दर बनाने का प्रयास करता है तो ईश्वर को प्रसन्नता होती है और लोगों के जीवन सुख -शांति व आनंद रहता है l मनुष्य की सबसे बड़ी भूल यह हो गई कि उसने ईश्वर के सन्देश को समझा नहीं और इस पृथ्वी को केवल भौतिक द्रष्टि से सुन्दर बनाने का प्रयास किया l मनुष्य शरीर में रहकर पशुवत व्यवहार करने लगा , अपनी चेतना को उच्च स्तर पर ले जाने का कोई प्रयास नहीं किया l अपनी बुद्धि का दुरूपयोग कर उसने सम्पूर्ण प्रकृति को प्रदूषित कर दिया l यही कारण है कि अब संसार में आपदाएं -विपदाएं बहुत अधिक हैं l प्रकृति इसी ढंग से अपना क्रोध प्रकट करती है l जब मनुष्य स्वयं को भगवान समझने लगता है तब ईश्वर इसी तरीके से मनुष्य को समझाते हैं l कोरा विज्ञान केवल नाश कर सकता है , अपने द्वारा किए गए विकास को अपने ही हाथों नष्ट कर सकता है l इसलिए विज्ञानं को अध्यात्म के साथ जोड़ो l मनुष्य शरीर केवल एक मशीन नहीं है , इसमें भावनाएं भी हैं , भावनाओं के बिना यह जीवन अधूरा है , और अध्यात्म हमें श्रेष्ठ भावनाओं और श्रेष्ठ विचारों से जोड़कर इनसान बनाता है l पृथ्वी का सौन्दर्य उस पर रहने वाले मनुष्यों से नहीं है , मनुष्य नामक प्राणी में कितनी इंसानियत है , मानवता है यही उसका सौन्दर्य है l अपनी श्रेष्ठ संतानों पर ही माँ को गर्व होता है l
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