14 April 2025

WISDOM -----

    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- "  जीवन  गुण -दोष  का  मिश्रण  है  l  यह  देखने  वाले  के  द्रष्टिकोण  पर  निर्भर  है   कि  वह  किस  पक्ष  को  देखता , चुनता  है  l  जो  सकारात्मक  पक्ष  को  देखते  व  स्वीकार  करते  हैं   उनकी  मन:स्थिति  व  परिस्थिति  सदा  सकारात्मक  ही  बनी  रहती  है  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  --- परिस्थिति  पर  हमारा  नियंत्रण   नहीं  होता   किन्तु  मन: स्थिति  एक  ऐसा  पक्ष  है  , जिसे  हम  नियंत्रित  कर  सकते  हैं   और  उसके  अनुरूप  परिस्थितियों  का  समुचित  लाभ  उठा  सकते  हैं  l   "  कुछ  लोग  ऐसे  होते  हैं   , जो  हर  परिस्थिति  में  प्रसन्न  रहते  हैं  l  जीवन  की  कोई  भी  प्रतिकूलता  उन्हें  विचलित  नहीं  कर  पाती  l  उनके  लिए  हर  स्थिति  एक  अवसर  बन  जाती  है  , वे  हर  स्थिति  का  लाभ  उठाते  हैं  l   जैसे  --पांडवों  को  जब  वनवास  हुआ  तो  उन्होंने  उसका  दुःख  नहीं  मनाया  ,  वनवास  की  अवधि  में  तपस्या  कर  के  अपनी  शक्ति  को  बढाया  l  वर्तमान  युग  में  हम  देखें  तो  कोरोना  काल  में  जिनकी  सोच  नकारात्मक  थी  , उन्होंने   उस  समय  को  अपनी  परेशानियों  का  रोना  रोने  में  ही  समय  गँवा  दिया   लेकिन  जिनकी  सोच  सकारात्मक  थी  उन्होंने  उस  समय  का  सदुपयोग  किया  --किसी  ने  संचार  साधनों  का  उपयोग  कर  अपने  हुनर  को  बढाया  , किसी  ने  मौन  रहकर  अपना  आत्मिक  बल  बढ़ाया  ,  जो  समझदार  थे  उन्होंने  किफ़ायत  से  घर - गृहस्थी  का  खर्च  चलाकर   अच्छी  बचत  की  l  कई  ऐसे  भी  थे  जिन्होंने  नियमित  ध्यान , मन्त्र जप  ,  हवन  , योग , प्राणायाम  कर  उस  कठिन  अवधि  में  अपनी  सेहत  में , स्वास्थ्य  में   पर्याप्त  सुधार  किया   और  अध्यात्म पथ  पर  आगे  बढ़े  l   आचार्य  श्री  ने  अपने  साहित्य  और   अपनी  अमृत वाणी  से  संसार  को  जीवन  जीने  की  कला  सिखाई  है  l  यदि  हमारी  सोच  सकारात्मक  है   तो  सारे  दुःख  सुख  में  बदल  जाते  हैं  l  बदलती  परिस्थिति  के  साथ  सकारात्मकता  बनाए  रखना  ही  जीवन  में  सफलता  का  एकमात्र  सूत्र  है  l