पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " जीवन गुण -दोष का मिश्रण है l यह देखने वाले के द्रष्टिकोण पर निर्भर है कि वह किस पक्ष को देखता , चुनता है l जो सकारात्मक पक्ष को देखते व स्वीकार करते हैं उनकी मन:स्थिति व परिस्थिति सदा सकारात्मक ही बनी रहती है l आचार्य श्री कहते हैं --- परिस्थिति पर हमारा नियंत्रण नहीं होता किन्तु मन: स्थिति एक ऐसा पक्ष है , जिसे हम नियंत्रित कर सकते हैं और उसके अनुरूप परिस्थितियों का समुचित लाभ उठा सकते हैं l " कुछ लोग ऐसे होते हैं , जो हर परिस्थिति में प्रसन्न रहते हैं l जीवन की कोई भी प्रतिकूलता उन्हें विचलित नहीं कर पाती l उनके लिए हर स्थिति एक अवसर बन जाती है , वे हर स्थिति का लाभ उठाते हैं l जैसे --पांडवों को जब वनवास हुआ तो उन्होंने उसका दुःख नहीं मनाया , वनवास की अवधि में तपस्या कर के अपनी शक्ति को बढाया l वर्तमान युग में हम देखें तो कोरोना काल में जिनकी सोच नकारात्मक थी , उन्होंने उस समय को अपनी परेशानियों का रोना रोने में ही समय गँवा दिया लेकिन जिनकी सोच सकारात्मक थी उन्होंने उस समय का सदुपयोग किया --किसी ने संचार साधनों का उपयोग कर अपने हुनर को बढाया , किसी ने मौन रहकर अपना आत्मिक बल बढ़ाया , जो समझदार थे उन्होंने किफ़ायत से घर - गृहस्थी का खर्च चलाकर अच्छी बचत की l कई ऐसे भी थे जिन्होंने नियमित ध्यान , मन्त्र जप , हवन , योग , प्राणायाम कर उस कठिन अवधि में अपनी सेहत में , स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार किया और अध्यात्म पथ पर आगे बढ़े l आचार्य श्री ने अपने साहित्य और अपनी अमृत वाणी से संसार को जीवन जीने की कला सिखाई है l यदि हमारी सोच सकारात्मक है तो सारे दुःख सुख में बदल जाते हैं l बदलती परिस्थिति के साथ सकारात्मकता बनाए रखना ही जीवन में सफलता का एकमात्र सूत्र है l