अंधकार की शक्तियों को यह अहंकार होता है कि वे अमर हैं , उन्हें कोई नहीं मिटा सकता लेकिन गहन अंधकार को मिटाने के लिए सूर्य की एक किरण ही पर्याप्त है l मनुष्य संसार से छिपकर , नकाब पहनकर अनेक अपराध करता है , उसे यह विश्वास होता है कि उसे किसी ने नहीं देखा l स्वयं को भगवान समझने के कारण उसे ऐसी ग़लतफ़हमी होती है l यह बात उसकी समझ से परे है कि प्रकृति के कण -कण में भगवान हैं , वे उसे देख रहे हैं l डिवाइन टाइम होता है , तब वह सच सबके सामने आता है l ईश्वरीय शक्ति कब और कैसे मनुष्य के अहंकार को चकनाचूर करती है , देखने और समझने वालों के लिए वह चमत्कार होता है l -----------------" नन्ही सी चिनगारी! तुम भला मेरा क्या बिगाड़ सकती हो ! देखती नहीं मेरा आकार ही तुमसे कई गुना बड़ा है , अभी तुम्हारे ऊपर गिर पडूँ तो तुम्हारे अस्तित्व का पता भी न लगे l " तिनकों का ढेर अहंकार पूर्वक बोला l चिनगारी कुछ बोली नहीं , चुपचाप ढेर के समीप जा पहुंची l तिनके उसकी आंच में भस्मसात होने लगे l अग्नि की शक्ति ज्यों -ज्यों बढ़ी , तिनके जलकर नष्ट होते गए , देखते -देखते भीषण रूप से आग लग गई और सारा ढेर राख में परिवर्तित हो गया l यह द्रश्य देख रहे आचार्य ने अपने शिष्यों को बताया ---- " बालकों ! जैसे आग की एक चिनगारी ने अपनी प्रखर शक्ति से तिनकों का ढेर खाक कर दिया l वैसे ही तेजस्वी और क्रियाशील एक व्यक्ति ही सैकड़ों बुरे लोगों से संघर्ष में विजयी हो जाता है l "