श्री माँ ( श्री अरविन्द आश्रम ) पांडिचेरी लौट रही थीं l l तूफ़ान के कारण जहाज में हिचकोले लगने लगे l अंत:द्रष्टि संपन्न श्री माँ ने देखा कि संभवतः कोई भी न बचे , ऐसा भयंकर तूफान है l उन्होंने सुप्रसिद्ध तंत्र विशेषज्ञ ' तेओं ' से दीक्षा ली थी l वे केबिन में चली गईं और स्वयं को बंद कर लिया l सूक्ष्म शरीर से वे समुद्र में चली गईं l उन्होंने देखा , कुछ सूक्ष्म शरीरधारी आत्माएं समुद्र के पानी को तीव्र वेग से उछाल रही हैं l उनसे उन्होंने वार्तालाप किया l वे बोलीं ---- " हम तो खेल रहे हैं l आपका जहाज ही बीच में आ गया l " श्री माँ ने कहा --- " आप थोड़ी देर विराम कर लें l हम इस बीच जहाज निकाल लेंगे l " श्री माँ यह विनती कर के केबिन से बाहर आ गईं l अचानक तूफान थम गया l उन्होंने कहा --- " तुरंत जहाज निकाल लो l फिर तूफान आ सकता है l " स्पीड बढ़ाकर जहाज निकाला गया l देखा गया पीछे फिर तूफान आरम्भ हो चुका था l ' श्वेत कमल ' ग्रन्थ में इस घटना का उल्लेख है l