जीवन का प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण है । किसी भी क्षण का मूल्य , किसी दूसरे क्षण से न तो ज्यादा है और न ही कम ।
अमीचंद नामक एक प्रसिद्ध व्यक्ति महर्षि दयानंद के पास गाना गाने जाया करता था । स्वामीजी को उससे अत्यंत आत्मीयता हो गई थी । एक दिन समाज के सभ्य लोगों ने उसके आचरण के विषय में महर्षि से शिकायत की । महर्षि ने विस्तार से पता लगाया तो सच पाया । दूसरे दिन जब अमीचंद गाना गाकर उठने ही वाला था कि महर्षि ने कहा -: प्यारे दोस्त ! तुम्हारा गला तो कोयल का है , परंतु आचरण कौए के समान है ।
अमीचंद को इतनी सी बात ह्रदय को चुभने के समान लगी । उसी क्षण उसने संकल्प लिया कि महर्षि से मिलुंगा , तो अच्छा बनकर । दूसरे दिन से ही उसने कार्यालय में रिश्वत लेना बंद कर दिया । बहुत समय से त्यागी पत्नी को पुन: बुला लिया । नशा आदि का भी सेवन करना बंद कर दिया । तब ऋषि -चरणों में जाकर मस्तक झुकाया ।
नया जन्म , नया जीवन प्रारंभ हुआ ।
क्षण -क्षण से जीवन बनता है । क्षण को जो पा ले , वह जीवन को पा लेता है ।
अमीचंद नामक एक प्रसिद्ध व्यक्ति महर्षि दयानंद के पास गाना गाने जाया करता था । स्वामीजी को उससे अत्यंत आत्मीयता हो गई थी । एक दिन समाज के सभ्य लोगों ने उसके आचरण के विषय में महर्षि से शिकायत की । महर्षि ने विस्तार से पता लगाया तो सच पाया । दूसरे दिन जब अमीचंद गाना गाकर उठने ही वाला था कि महर्षि ने कहा -: प्यारे दोस्त ! तुम्हारा गला तो कोयल का है , परंतु आचरण कौए के समान है ।
अमीचंद को इतनी सी बात ह्रदय को चुभने के समान लगी । उसी क्षण उसने संकल्प लिया कि महर्षि से मिलुंगा , तो अच्छा बनकर । दूसरे दिन से ही उसने कार्यालय में रिश्वत लेना बंद कर दिया । बहुत समय से त्यागी पत्नी को पुन: बुला लिया । नशा आदि का भी सेवन करना बंद कर दिया । तब ऋषि -चरणों में जाकर मस्तक झुकाया ।
नया जन्म , नया जीवन प्रारंभ हुआ ।
क्षण -क्षण से जीवन बनता है । क्षण को जो पा ले , वह जीवन को पा लेता है ।
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