महाकवि दांते को इतालवी-भाषा का जनक, इतालवी साहित्य का नूतन दिशा निर्देशक तथा महान साहित्यकार का ऐतिहासिक गौरव प्राप्त है । यौवन काल में जब सामान्य युवक सुख, हास, विलास और अधिक धनोपार्जन की कामनाएं संजोया करते हैं, दांते ने एक ऐसे महाकाव्य की रचना का स्वप्न देखा जो युगों-युगों तक मानव को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा-प्रकाश देता रह सके । युवावस्था में ही उन्होंने अपने इस महाकाव्य की रचना आरम्भ कर दी । दांते केवल विचारों और भावनाओं के ही धनी नहीं थे, वे कर्म के भी धनी थे । विचारों की शक्ति जब कर्म में अभिव्यक्त होती है तभी उसका पूरा लाभ मिल पाता है, दांते ने विचार और कर्म दोनों में ही अपनी गति प्रमाणित की । श्रम, मनोयोग और प्रतिभा की त्रिवेणी ने बीस वर्ष तक नियमित रूप से प्रवाहित होकर जिस अमर-महाकाव्य का सृजन किया वह था------ ' डिवाइन कॉमेडी ' ।
अपने महाकाव्य के कारण वे इटली में ही नहीं सारे विश्व में सम्मान के पात्र बन गये ।
जिस व्यक्ति कों आज 750 वर्षों बाद भी उनके देशवासी भूले नहीं, उन्हें अपने जीवन में सत्य और न्याय का पक्ष लेने के कारण लम्बी अवधि तक कारावास की यंत्रणाए भोगनी पड़ी थीं ।
योरोपीय-साहित्य में प्रथम बार ' डिवाइन कॉमेडी ' महाकाव्य में कवि ने विश्व-बंधुत्व और शांति जैसी उच्च कल्पनाओं का समावेश किया था । इसमें महाकवि ने स्पष्ट संकेत किया है कि मनुष्य बाह्य जगत की भूल-भुलैया में ही फंसा न रहे, उसे अपने भीतर की ओर भी देखना चाहिए, पापों से विमुख हो, पुण्य लाभ करने चाहिए अन्यथा जीवन निरर्थक चला जायेगा ।
यह उनके ह्रदय की गहराइयों से निकली कविता थी जो जन-मन को आंदोलित करने की क्षमता रखती थी । उनके इस महान कृतित्व के कारण आज इतने वर्षों बद भी इटली निवासी दांते की पूजा करते हैं, फ्लोरेंस नगर की जिन सड़कों पर कभी दांते गुजरते थे अब वहां संगमरमर के स्तंभों पर उनकी कविताएं अंकित की गई हैं । उन्होंने अन्य कई ग्रन्थ रचे पर उनका यह एक अकेला महाकाव्य ही उनके नाम को अमर करने के लिए पर्याप्त था ।
अपने महाकाव्य के कारण वे इटली में ही नहीं सारे विश्व में सम्मान के पात्र बन गये ।
जिस व्यक्ति कों आज 750 वर्षों बाद भी उनके देशवासी भूले नहीं, उन्हें अपने जीवन में सत्य और न्याय का पक्ष लेने के कारण लम्बी अवधि तक कारावास की यंत्रणाए भोगनी पड़ी थीं ।
योरोपीय-साहित्य में प्रथम बार ' डिवाइन कॉमेडी ' महाकाव्य में कवि ने विश्व-बंधुत्व और शांति जैसी उच्च कल्पनाओं का समावेश किया था । इसमें महाकवि ने स्पष्ट संकेत किया है कि मनुष्य बाह्य जगत की भूल-भुलैया में ही फंसा न रहे, उसे अपने भीतर की ओर भी देखना चाहिए, पापों से विमुख हो, पुण्य लाभ करने चाहिए अन्यथा जीवन निरर्थक चला जायेगा ।
यह उनके ह्रदय की गहराइयों से निकली कविता थी जो जन-मन को आंदोलित करने की क्षमता रखती थी । उनके इस महान कृतित्व के कारण आज इतने वर्षों बद भी इटली निवासी दांते की पूजा करते हैं, फ्लोरेंस नगर की जिन सड़कों पर कभी दांते गुजरते थे अब वहां संगमरमर के स्तंभों पर उनकी कविताएं अंकित की गई हैं । उन्होंने अन्य कई ग्रन्थ रचे पर उनका यह एक अकेला महाकाव्य ही उनके नाम को अमर करने के लिए पर्याप्त था ।
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