21 September 2013

ART OF LIVING --- LABOUR

' श्रम  एक  बहुत  महत्वपूर्ण  विभूति  है  । यह  एक  ऐसी  कुदाल  है , जिसके  माध्यम  से  हम  अपने  व्यक्तित्व  की  विभूतियों  को  खोद  सकते  हैं  । '
  जीवन  प्रत्यक्ष  कल्पवृक्ष  है  । इसे  जानने , समझने  व  हस्तगत  करने  के  अलावा  और  किसी  भी  चीज  की  जरुरत  नहीं  । यदि  हमें  स्वयं  को  समझना  है , जानना  है , तो  सबसे  पहले  हमें  अपने  जीवन  के  नजदीक  आना  होगा  । अपने  भीतर  की  संभावनाओं  को  निखारने  के  लिये  सबसे  महत्वपूर्ण  है --श्रम
   श्रम  से  हमें  यह  अहसास  होता  है  कि  हम  जीवित  हैं  । जो  श्रम  नहीं  करता , वह  मुर्दे  के  समान  है  ।
श्रम  से  ही  व्यक्ति  स्वयं  को  गौरवान्वित  महसूस  करता  है  ।
    श्रम  के  संदर्भ  में  विशेष  बात  यह  है  की   भावना  और  मनोयोग  तथा  बुद्धि  और  विवेक  के  साथ  किया  गया  श्रम  ही  हमारे  व्यक्तित्व  को  निखार  देता  है  ।

यह  श्रम  तब  और  भी  व्यापक  एवं  अध्यात्मिक  बन  जाता  है  और  व्यक्तित्व  की  प्रगति  के  द्वार  खोलता  है , जब  श्रम  सेवा  में  तब्दील  हो  जाता  है  । जब  हम  सेवा  के  माध्यम  से  श्रम  करते  हैं  तो  हम  निजी  जीवन  को  और  अपने  व्यक्तित्व  को  व्यापक व  प्रगतिशील  बनाते  हैं  । 

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