'आत्म -विश्वास में वह शक्ति है , जिसके सहारे हम सहस्त्र विपत्तियों का सामना कर उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं । '
शत्रुओं से घिरे एक नगर की प्रजा अपना माल -असबाव पीठ पर लादे हुए जान बचाकर भाग रही थी । सभी घबराये और दुखी थे । उन्ही में से एक खाली हाथ चलने वाला व्यक्ति सिर ऊँचा किये अकड़कर चल रहा था । लोगों ने उससे पूछा " तेरे पास तो कुछ भी नहीं है , इतनी गरीबी के होते फिर अकड़ किस बात की ? "
दार्शनिक वायस ने कहा --" मेरे साथ जन्म भर की संगृहीत पूंजी है और उसके आधार पर अगले ही दिनों फिर अच्छा भविष्य सामने आ खड़ा होने का विश्वास है । यह पूंजी है -- अच्छी परिस्थितियां फिर बना लेने की हिम्मत । इस पूंजी के रहते मुझे सिर नीचा करने और दुखी होने की आवश्यकता ही क्या है ? "
शत्रुओं से घिरे एक नगर की प्रजा अपना माल -असबाव पीठ पर लादे हुए जान बचाकर भाग रही थी । सभी घबराये और दुखी थे । उन्ही में से एक खाली हाथ चलने वाला व्यक्ति सिर ऊँचा किये अकड़कर चल रहा था । लोगों ने उससे पूछा " तेरे पास तो कुछ भी नहीं है , इतनी गरीबी के होते फिर अकड़ किस बात की ? "
दार्शनिक वायस ने कहा --" मेरे साथ जन्म भर की संगृहीत पूंजी है और उसके आधार पर अगले ही दिनों फिर अच्छा भविष्य सामने आ खड़ा होने का विश्वास है । यह पूंजी है -- अच्छी परिस्थितियां फिर बना लेने की हिम्मत । इस पूंजी के रहते मुझे सिर नीचा करने और दुखी होने की आवश्यकता ही क्या है ? "
No comments:
Post a Comment