17 August 2025

WISDOM ------

  अपनी  शक्ति  के  बल  पर  किसी  भूभाग  को  जीतना  ,  लोगों  को  अपना  गुलाम  बनाना  बहुत  सरल  है   लेकिन  अपने  ही  मन  को   काबू  में  रखना  , उसकी  लगाम  अपने  हाथ  में  रखना  सबसे  कठिन  कार्य  है  l   कोई  कितना  भी  शक्तिशाली  क्यों  न  हो  यदि  उसका  अपनी  कामना , वासना  , तृष्णा , महत्वाकांक्षा, अहंकार     जैसे  विकारों  पर  नियंत्रण  नहीं  है   तो  वह  इन  विकारों  के  वशीभूत  होकर  किसी  न  किसी  की  गुलामी  अवश्य  करेगा  l  जैसे  रावण  कितना  शक्तिशाली  और  ज्ञानी  था   लेकिन  उसका  अपने  मन  पर  नियंत्रण  नहीं  था  l  सीताजी  को  पाने  के  लिए  अपनी  लंका  छोड़कर  , भिखारी  बनकर   , सबसे  छुपते -छिपाते   कटोरा  लेकर   पर्णकुटीर  आ  गया  l  अपनी  धूर्तता  के  बल  पर  वह  उन्हें  लंका  ले  भी  गया  , बहुत  प्रलोभन  दिए  --तुम  मेरी  पटरानी  बनो , मंदोदरी  तुम्हारी  सेवा  करेगी  l  सीताजी  के  आगे  वह  कितना  झुका  !  सीताजी  ने  उसे  देखा  तक  नहीं  l  लंकापति  रावण  उनकी  एक  नजर  के  लिए  भी  तरस  गया  l  ऐसी  शक्ति  किस  काम  की  !     हमारे  ऋषियों  का   आचार्य का  कहना   है कि  मन  को  जबरन  और  डंडे  के  बल  पर  नियंत्रण  में  नहीं  रखा  जा  सकता  l  जबरन  नियंत्रित  किए  गए  मन  में  विस्फोट  की  संभावना  बनी  रहती  है  l  स्वयं  के  अनुभव  से   अर्थात  अब  तक  जो  अनुपयुक्त  किया  उसके  दुष्परिणामों  को  समझकर   और  दूसरों  की  दुर्गति  से  शिक्षा  लेकर  भी   अपने  मन  को  साधा  जा  सकता  है  l  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  मन  की  चंचलता  पर  नियंत्रण  रखने  का  सबसे  सरल  उपाय  बताया , उन्होंने  कहा  कि  निष्काम  कर्म  से , नि: स्वार्थ  सेवा  से   मन  पर  जमी   मैल   की  परतें  हटती  जाती  हैं   और  मन  निर्मल  हो  जाता  है  l  हमारे  मन  पर  जन्म -जन्मान्तर  का  मैल  चढ़ा  हुआ  है  ,  इसकी  धुलाई -सफाई  इतनी  सरल  नहीं  है  l  जब  भी  कोई   इस  दिशा  में  आगे  बढ़ने  का  प्रयास  करता  है   तो  मन  की  गहराई  में  छुपी  हुई  गंदगी , नकारात्मकता  उछलकर  और  बाहर  आती  है  ,  मन  को  विचलित  करने  का  हर  संभव  प्रयास  होता  है  ,  इसे  ईश्वर  द्वारा  ली  जाने  वाली  परीक्षाएं  भी  कह  सकते   हैं  l  ईश्वर  के  प्रति    समर्पण  और  उनके  शब्दों  पर  श्रद्धा  और  विश्वास  से  ही   इस  बेलगाम  मन  को  नियंत्रित  किया  जा  सकता  है  l