' In life we shall find many men that are great , and some men that are good , but very few men that are both great and good. '
खलील जिब्रान 6 जनवरी 1883 को लेबनान में जन्मे | उनने तत्कालीन ईसाई धर्म में फैली बुराईयों के विरुद्ध आवाज उठाई | उन्हें पादरियों का रोष भी सहना पड़ा | शोषितों और दलितों के पक्ष में जब उनने आवाज उठाई तो उन्हें देश निकाला दे दिया गया | 1912 में वे अमेरिका चले गये | जहाँ से वे अपने देशवासियों का ही नहीं, सारे विश्व का मार्गदर्शन करते रहे | वे एक महान साहित्यकार, चित्रकार एवं युगद्रष्टा थे | खलील जिब्रान के व्यक्तित्व में थोरो का प्रकृति प्रेम, माइकेल एंजिलो की कलानिष्ठा, रवीन्द्रनाथ टैगोर का काव्य-कौशल और मंसूर की सी स्पष्टवादिता का एक अनूठा संगम देखने को मिलता है | एक बहुत ही संपन्न-सुसंस्कृत परिवार में जन्मे खलील जिब्रान को अध्यात्म के प्रति झुकाव एवं कला प्रेम माँ से विरासत में मिला था | ' दि प्रोफेट ' उनका एक प्रतिनिधि ग्रंथ है, जिसमे ईसाई उपदेशों को उनने सही स्वरुप में उच्च आदर्शों से समन्वित कर प्रस्तुत किया है | 1931 में उनने शरीर छोड़ा, पर उनके कार्यों की सुगंध सारे विश्व में आज भी संव्याप्त है |
खलील जिब्रान 6 जनवरी 1883 को लेबनान में जन्मे | उनने तत्कालीन ईसाई धर्म में फैली बुराईयों के विरुद्ध आवाज उठाई | उन्हें पादरियों का रोष भी सहना पड़ा | शोषितों और दलितों के पक्ष में जब उनने आवाज उठाई तो उन्हें देश निकाला दे दिया गया | 1912 में वे अमेरिका चले गये | जहाँ से वे अपने देशवासियों का ही नहीं, सारे विश्व का मार्गदर्शन करते रहे | वे एक महान साहित्यकार, चित्रकार एवं युगद्रष्टा थे | खलील जिब्रान के व्यक्तित्व में थोरो का प्रकृति प्रेम, माइकेल एंजिलो की कलानिष्ठा, रवीन्द्रनाथ टैगोर का काव्य-कौशल और मंसूर की सी स्पष्टवादिता का एक अनूठा संगम देखने को मिलता है | एक बहुत ही संपन्न-सुसंस्कृत परिवार में जन्मे खलील जिब्रान को अध्यात्म के प्रति झुकाव एवं कला प्रेम माँ से विरासत में मिला था | ' दि प्रोफेट ' उनका एक प्रतिनिधि ग्रंथ है, जिसमे ईसाई उपदेशों को उनने सही स्वरुप में उच्च आदर्शों से समन्वित कर प्रस्तुत किया है | 1931 में उनने शरीर छोड़ा, पर उनके कार्यों की सुगंध सारे विश्व में आज भी संव्याप्त है |
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