हमारे मन का हर समय शांत स्थिति में होना परम तप कहा गया है | जिस अंत:करण में शांति जितनी गहरी होगी, वहां शक्ति भी उतनी ही सघन होगी | शांति वह धुरी है, जहाँ सारे आध्यात्मिक गुण स्वत: आते चले जाते हैं | यह मात्र निस्तब्धता नहीं है, एक प्रकार की घनीभूत ऊर्जा है, जो मनुष्य को पूर्णतया रूपांतरित कर देती है |
यदि हर व्यक्ति का मन बदल जाये, अंदर शांति स्थापित हो जाये तो बाहर भी सब शांतिमय हो जायेगा | बुद्ध के ह्रदय की शांति ने अंगुलिमाल को बदला, इसी प्रकार हम योग के द्वारा सारे संसार को बदल सकते हैं | मन की शांति, अंत:करण की शांति आज की परम आवश्यकता है | उसकी तलाश लोग बाहर करते हैं वह अंदर ही है |
यदि हर व्यक्ति का मन बदल जाये, अंदर शांति स्थापित हो जाये तो बाहर भी सब शांतिमय हो जायेगा | बुद्ध के ह्रदय की शांति ने अंगुलिमाल को बदला, इसी प्रकार हम योग के द्वारा सारे संसार को बदल सकते हैं | मन की शांति, अंत:करण की शांति आज की परम आवश्यकता है | उसकी तलाश लोग बाहर करते हैं वह अंदर ही है |
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