इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि मृत्यु को निश्चित जानकर भी मनुष्य यह चाहता है कि वो अमर हो जाये l इसके लिए चिकित्सा क्षेत्र में तरह - तरह के अनुसन्धान किये जाते हैं l प्रचार - प्रसार द्वारा सामान्य जन को समझाया जाता है कि इन सब तरीकों से वे स्वस्थ हो जायेंगे l एक लेख में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ------ " जरा , मृत्यु तथा व्याधि का ही निवारण तो कर सकोगे l भय -शोक , लोभ , मोह , ईर्ष्या - द्वेष तो मनुष्य के मन से उत्पन्न होते हैं l ये दुःख तो उसके मन से पैदा होते हैं l अमर होने मात्र से मनुष्य सुखी कैसे हो जायेगा ? मृत्यु से अभय होकर अजितेन्द्रिय प्राणी अधिक तमोगुणी , विषय लोलुप , अधर्माचारी होकर परिणामस्वरूप अनंत काल तक अशांत , क्षुब्ध और दुःखी रहने लगेगा l मानव का कल्याण चाहते हो तो उसके विचारों में परिवर्तन करो l उसके शरीर का नहीं मन का कायाकल्प करो l उसे जीवन जीने की कला सिखाओ l
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