संत तुकाराम के जीवन में जब अनेक विपत्तियां आईं तो उन्होंने भगवान को पत्र लिखा ---- ' हे भगवान ! अच्छा ही हुआ , जो आपने मेरा धन छीन लिया l पत्नी और बच्चे भी बीमारी के कारण साथ नहीं रहे , यह भी अच्छा ही हुआ l मैं हर प्रकार से दुर्दशा भोग रहा हूँ -- यह भी एक तरह से ठीक ही है l संसार में घोर अपमानित हो रहा हूँ ---- यह भी अच्छा ही है , क्योंकि इन्ही कष्टों की राह से गुजर कर आपकी मधुर , शांत गोद मिलती है l '
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