13 April 2013

PEACE BEGINS WHERE AMBITION ENDS

जिसे शांति की चाहत है ,उसे महत्वाकांक्षा छोड़नी पड़ेगी |
             एक मल्लाह और एक उसका पुत्र दोनों एक बड़ी नाव पर सवार होकर समुद्र में उसे खेते हुए जा रहे थे | थोड़ी देर बाद तूफान आया और नाव डगमगाने लगी | मल्लाह ने अपने बेटे से कहा कि ऊपर जा और अपनी पाल को ठीक से बांध दे | पाल को यदि ठीक तरीके से बांध दिया जायेगा तो हवा का रुख धीमा हो जायेगा और हमारी नाव डगमगाने से बच जायेगी | बेटा बाँस के सहारे ऊपर चढ़ गया और पाल को ठीक तरीके से बाँधने लगा | उसने जब ऊपर की ओर देखा तो उसे चारों तरफ समुद्र की ऊँची लहरें दिखायी दे रहीं थीं | जोरों से हवा चल रही थी अँधेरा छाता जा रहा था | यह सब देखकर बेटा चिल्लाया -"पिताजी !मेरी तो मौत आ गई ,देखिये दुनिया में प्रलय होने जा रही है | "तब उसका पिता चिल्लाया -बेवकूफ !सिर्फ नीचे की ओर नजर रख और इधर -उधर मत देख | "बाप उस वक्त हुक्का गुड़गुड़ा रहा था | बेटा नीचे चला आया |
                       अपने बेटे की तरफ हुक्का बढ़ाते हुए उसने कहा कि --अपने से ऊपर देखने वाले महत्वाकांक्षी व्यक्ति दिन -रात जलते रहते हैं | मनुष्यों की तृष्णा ,कामनाएँ असीम एवं अपार हैं | ऐसे व्यक्ति को न शांति मिलती है और न मुक्ति | मनुष्य का जीवन शांतिपूर्ण होना चाहिये ,अशांत और विक्षुब्ध नहीं |
           

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