13 April 2013

PEACE

शांति में ही समस्त सुखों का अनुभव होता है | अंतर्मन में शांति प्रगाढ़ हो तो दुःखमय परिस्थितियाँ ,बाहरी जीवन के सारे आघात मिलकर भी अन्तस् में दुःख को अंकुरित नहीं कर पाते | सत्य यही है कि अंतरात्मा शांति चाहती है |-----संत इमर्सन ने लिखा है -"युवावस्था में मेरे अनेक सपने थे | उन्ही दिनों मैंने एक सूची बनाई थी कि जीवन में मुझे क्या -क्या पाना है | इस सूची में वह सभी कुछ लिखा था ,जिन्हें पाकर मैं धन्य होना चाहता था | स्वास्थ्य ,सौंदर्य ,सुयश ,संपति ,सुख ,इसमें सभी कुछ था | इस सूची को लेकर मैं बुजुर्ग संत के पास गया और उनसे कहा -"क्या मेरी इस सूची में जीवन की सभी उपलब्धियां नहीं आ जाती हैं ?"उन्होंने मेरी बातों को ध्यान से सुना और कहा -"मेरे बेटे !तुम्हारी यह सूची बड़ी सुंदर है | बहुत विचारपूर्वक तुमने इसे बनाया है ,फिर भी तुमने इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात छोड़ दी ,जिसके बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है | "मैंने पूछा -"वह क्या है ?"उत्तर में उन वृद्ध अनुभवी संत ने मेरी सम्पूर्ण सूची को बुरी तरह से काट दिया और उसकी जगह उन्होंने केवल एक शब्द लिखा _शांति | "
                    यह शांति कोई बाहरी वस्तु नहीं ,यह तो स्वयं का ही निर्माण है | यह कोई रिक्त और खोखली मन:स्थिति नहीं है ,यह अंतर्मन के सकारात्मक संगीत की मधुरता है |

  

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