17 July 2022

WISDOM ------

   महानता  का  प्रथम  लक्षण  है --- विनम्रता  ----- 1.  पांडवों  ने  राजसूय  यज्ञ   किया  l  उसमें  सर्वोत्तम  पद  चुन  लेने  के  लिए  कृष्ण  को  कहा  गया   l  उन्होंने  आगंतुकों  के  पैर  धोकर   सत्कार  करने  का  काम   अपने  जिम्मे  लिया  l  यह  उनकी  निरहंकारिता   और  विनम्रता  की  पराकाष्ठा   ही  थी  l                                                                   2.    डॉ . महेन्द्रनाथ  सरकार  कलकत्ता  के  प्रख्यात  और  संपन्न  चिकित्सक  थे   l  वे  श्री रामकृष्ण  परमहंस  से  मिलने  गए   l  परमहंस जी  बगीचे  में  टहल  रहे  थे  l  डॉ . महेन्द्रनाथ  ने  उन्हें  माली  समझकर  कहा  ---- " ऐ  माली  !  थोड़े  से  फूल  तो  लाकर  दे   l  परमहंस  जी  को  भेंट  करने  हैं  l    उन्होंने  अच्छे -अच्छे  फूल  तोड़कर   उन्हें  दे  दिए   l  थोड़ी  देर  में  परमहंस जी   सत्संग  स्थान  पर  पहुंचे  l  डॉ . सरकार  उनकी  विनम्रता   पर  चकित  रह  गए   l  जिसको  माली  समझा  गया  था  ,  वे  ही  परमहंस  जी  निकले   l                                                                        3 .  बीसवीं  सदी  के  महान  वैज्ञानिक   आइन्स्टीन  बेल्जियम  की  महारानी  के  निमंत्रण  पर  ब्रूसेल्स  पहुंचे  l  महारानी  ने  अनेक   बड़े  अधिकारियों  को   उन्हें  लेने  के  लिए  स्टेशन  भेजा  ,  किन्तु  सामान्य  वेश -भूषा  और   सीधे  से   आइन्स्टीन  को  वे  पहचान  ही  नहीं  पाए  और  निराश  लौट  आए   l  आइन्स्टीन  अपना  बैग  उठाये  राजमहल  पहुंचे   और  महारानी  को  अपने  आने  की  सूचना  भिजवाई   l  जब  रानी  ने  अपने  अधिकारियों  की   अज्ञानता  के  कारण  हुई  असुविधा  के  लिए   खेद  प्रकट  किया   तो  वे  हँसते  हुए  बोले  --- "  आप  जरा  सी   बात  के  लिए  दुःख  न  करें  ,  मुझे  पैदल  चलना  बहुत  अच्छा  लगता  है   l  "      जिस  राजसी  सम्मान  को  पाने  के  लिए    लोग  जीवन  भर    एड़ी -चोटी  का   पसीना  एक  करते   रहते  हैं  ,  वह  सम्मान   महामानवों  को   सादगी  की  तुलना  में  इतना  छोटा  लगता  है   कि  उसकी  चर्चा  भी  चलना  निरर्थक  समझते  हैं   l   

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