14 January 2022

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' अगर  आप  दूसरों  से  स्नेह , सम्मान , सहानुभूति  चाहते  हैं   तो  उनकी  आलोचना , बुराई  न  करें  l   किसी  की  आलोचना  करने  से  कोई  फायदा  नहीं  होता  l  आलोचना  से  कोई  सुधरता  नहीं  है  , बल्कि  इससे  संबंध   जरूर  बिगड़  जाते  हैं   l  ' अब्राहम  लिंकन  ने   अपने  जीवन  के  अनुभव  से   दूसरों  की  आलोचना  करने  के   बुरे  परिणाम  को  जाना  l   उनका  प्रिय  कोटेशन  था ---- " किसी  की  आलोचना  मत  करो ,  ताकि  आपकी   भी आलोचना  न  हो   l "  जब  भी  श्रीमती  लिंकन  और   दूसरे  लोग  दक्षिणी   प्रान्त  के  लोगों  की   आलोचना  करते  तो  लिंकन    जवाब   देते  थे  ---- " उनकी  आलोचना  मत  करो  ,  अगर  हम  उन  परिस्थितियों  में  होते   तो  हम  भी  वैसे  ही  होते  l  "  लिंकन  अपने  जीवन  के  कटु  अनुभव  से  जानते  थे   कि   तीखी  आलोचना  और   डांट  - फटकार    हमेशा  नुकसानदायक  होती  है   और  उससे  कोई  लाभ  नहीं  होता   l  आलोचना  यदि  दूसरों  को  सुधारने  के  लिए  भी  हो   तो  दूसरों  को  सुधारने  के  बजाय  खुद  को  सुधारना    ज्यादा  फायदेमंद   होता  है   और  कम  खतरनाक  भी   l  "     आचार्य श्री  लिखते  हैं  ---- " यदि  किसी  के  मन  में  स्वयं  के  प्रति  विद्वेष  पैदा  करना  है  ,  जो  दशकों  तक  पलता    रहे   और  मौत  के  बाद  भी  बना  रहे  ,  तो  इसके  लिए  कुछ  ख़ास  नहीं  करना  पड़ता  ,  सिर्फ  चुनिंदा  शब्दों  में   चुभती  हुई   आलोचना   करनी  होती  है   l   जाने - अनजाने   ज्यादातर  लोग  ऐसा  ही  करते  हैं   और  दूसरों  के  मन  में   खुद  के  प्रति  विषबीज  बो  देते  हैं  l "

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