24 May 2024

WISDOM ----

   एक  बार   रानी  रासमणि  के  गोविन्द जी  की  मूर्ति  पुजारी  के  हाथ  से  गिरने  से  खंडित  हो  गई  l  रानी  रासमणि  ने  ब्राह्मणों  से  उपाय  पूछा  l  ब्राह्मणों  ने  खंडित  मूर्ति  को   गंगा जी  में  विसर्जित  कर  नई   मूर्ति  बनवाने  का  सुझाव  दिया   l  यह  सुनकर  रानी  बहुत  दुःखी  हुईं  कि  अब  तक  जिन  ठाकुर जी  को  इतनी  श्रद्धा  और  भक्ति  के  साथ   पूजा  जाता  रहा  , उन्हें  अब  गंगा  में  विसर्जित  करना  पड़ेगा  l  उन्होंने  रामकृष्ण  परमहंस जी  से  पूछा    तो  वे  बोले  ---- "  यदि  आपके  किसी  सम्बन्धी  का  पैर  टूट  जाता   तो  आप  उसकी  चिकित्सा  करवातीं  या  नदी  में  प्रवाहित  करतीं  ? "  रानी  रासमणि  उनका  आशय  समझ  गईं  l  उन्होंने  खंडित  मूर्ति  को  ठीक  करवाया   और  पहले  की  भांति  पूजा  आरम्भ  कर  दी  l  एक  दिन  किसी  ने  स्वामी    रामकृष्ण  परमहंस जी  से  पूछा  ---- "  मैंने  सुना  है  कि  इस  मूर्ति  का  पैर  टूटा  है   l "  इस  पर  वे  हँसकर  बोले  ---- "  जो  सबके  टूटे  को  जोड़ने  वाले  हैं  ,  वे  स्वयं  टूटे  कैसे  हो  सकते  हैं  l  ' 

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