11 March 2013

कैसी भी स्थिति हो धैर्य रखकर अनिवार्य दुःख को वीरता पूर्वक झेलता हुआ भी कोई परेशान ,अधीर न हो उसे शांत व्यक्ति कहते हैं | राजा बालीक ने अपने प्रधान सचिव विश्वदर्शन को पद से हटाकर राज्य से निकाल दिया | विश्वदर्शन एक गांव में आकर बड़े परिश्रम का जीवन बिताने लगे | एक दिन राजा बालीक वेष बदलकर विश्वदर्शन के गांव पहुंचे ,यह देखने कि उनकी कैसी स्थिति है | राजा ने देखा विश्वदर्शन बड़े प्रसन्न हैं उनके घर के सामने अनेकों आदमी बैठे बातचीत कर रहे हैं | वेष बदले हुए राजा ने उनसे पूछा -"महोदय !आपको तो राजा ने पद से हटा दिया फिर भी आप इतने प्रसन्न हैं ,इसका रहस्य क्या है ?"विश्वदर्शन राजा को पहचान गये और बोले -"महाराज !पहले तो लोग मुझसे डरते थे ,पर अब वह डर नहीं है ,इसलिए लोगों से खुल कर बात करने सेवा ,सहयोग ,आत्मीयता व्यक्त करने में बड़ा आनंद आता है | "राजा बालीक ने अनुभव किया ,सचमुच पद से लोग डर सकते हैं ,सम्मान तो मनुष्यता के श्रेष्ठ गुणों का होता है | लौटते समय राजा विश्वदर्शन को अपने साथ ले आये और उन्हें उनका पद फिर दे दिया |

No comments:

Post a Comment