12 March 2013

KNOWLEDGE

ज्ञान प्रकाश है ,जबकि अज्ञान अंधियारा है | इस अंधियारे में औरों का प्रकाश काम नहीं आता ,प्रकाश अपना ही हो ,तो भरोसेमंद साथी है | -बाबा फरीद ने अपने शिष्य से कहा -"ज्ञान को उपलब्ध करो | इसके अतिरिक्त कोई दूसरा मार्ग नहीं है | "शिष्य नम्र भाव से बोला -"बाबा !रोगी तो हमेशा वैद्दय के पास जाता है ,स्वयं चिकित्सा शास्त्र का ज्ञान अर्जित करने के फेर में नहीं पड़ता | आप मेरे मार्गदर्शक हैं ,गुरु हैं | यह मैं जानता हूं आप मेरा कल्याण करेंगे ,तब फिर स्वयं के ज्ञान की क्या आवश्यकता है | "यह सुनकर बाबा फरीद ने बड़ी गंभीरता पूर्वक एक कथा सुनाई | वे बोले -"एक गांव में एक वृद्ध रहता था मोतियाबिंद के कारण वह अंधा हो गया ,तो उसके बेटों ने उसकी आँख की चिकित्सा करानी चाही ,लेकिन वृद्ध ने अस्वीकार कर दिया | वह बोला -"भला मुझे आँखों की क्या जरुरत !तुम आठ मेरे पुत्र हो आठ पुत्रवधु हैं ,तुम्हारी माँ है | ये 34 आँखे तो मुझे मिली हैं | मेरी दो नहीं हैं तो क्या हुआ | "पिता ने पुत्र की बात नहीं मानी | कुछ दिन बाद एक रात अचानक घर में आग लग गई ,सभी अपनी जान बचाने के लिये भागे ,वृद्ध की याद किसी को नहीं रही | वह उस आग में जलकर भस्म हो गया |
कथा सुनाने के बाद बाबा ने अपने शिष्य से कहा -"बेटा !ज्ञान स्वयं की आँखे हैं ,इसका कोई विकल्प नहीं है | सत्य न तो शास्त्रों में मिलता है ,न शास्ताओं में | इसे तो स्वयं ही पाना होता है ,स्वयं का ज्ञान ही असहाय मनुष्य का एकमात्र सहारा होता है |  

No comments:

Post a Comment