14 May 2024

WISDOM ------

  लघु कथा ----- चारुदत्त  एक  सज्जन  व्यक्ति  था , जिसकी  ईमानदारी एवं  सत्यता  पर  हर  एक  को  विश्वास  था  l उसकी  प्रमाणिकता   की  कथाएं  पूरे  नगर  में  विख्यात  थीं  l  एक  बार  इसी  विश्वास  के  आधार  पर   एक  व्यक्ति   अपने  बहुमूल्य   रत्न  उसके  पास  धरोहर  के  रूप  में   रख  गया  l  दुर्भाग्यवश  चारुदत्त  के  घर  चोरी  हो  गई    और  वे  रत्न  चोरी  चले  गए  l  चोर  बहुत  सा  सामान  चारुदत्त  का  भी  ले  गया  था  ,  पर  उसके  जाने  से  ज्यादा  दुःख   चारुदत्त  को   उन  रत्नों  के  चोरी  होने  का  था  l  उसने  अपना  दुःख  अपने  मित्र  से  साझा  किया    तो  उसके  मित्र  ने  उससे  पूछा  ---- '  जब  वह  व्यक्ति  जो  रत्नों  का  मालिक  था  ,  अपने  रत्न  तुम्हारे  पास  रखकर  गया    तो  उसका  साक्षी  कौन  था  ? "  चारुदत्त  ने  उत्तर  दिया  --- " साक्षी  तो  कोई  नहीं  था  ,  वह  तो  मात्र  विश्वास  के  आधार  पर   ही  मेरे  यहाँ  रत्न  रख  गया  l "  चारुदत्त  के  मित्र  ने  कहा ---- "  तो  फिर  इतना  परेशान  होने  की  क्या  बात  है  ?  जब  वह  पूछने  आए   तो  मुकर  जाना   और  कह  देना   कि  तुमने  मेरे  पास  कोई  रत्न  नहीं  रखे  थे  l  "  यह  सुनकर  चारुदत्त  ने  उत्तर  दिया  ---- "  चाहे  मुझे  भीख  मांगनी  पड़े  ,  पर  मैं   धरोहर  के  रत्नों  के  बराबर   धन  उत्पन्न  कर  के   उसे  लौटा  दूंगा  ,  किसी  भी  स्थिति  में   चरित्र  को  कलंकित  करने  वाले  असत्य  का  प्रयोग  नहीं  करूँगा  ,  झूठ  नहीं  बोलूँगा  l "   चारुदत्त  के  इस  वार्तालाप  को  जिसने  भी  सुना  सब  उसकी  ईमानदारी  और  सत्यता  से  बहुत  प्रभावित  हुए  l   व्यक्ति  की  प्रमाणिकता  ऐसे   विषम  समय  में  ही   सिद्ध  होती  है  l  

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